खरगोन। जब सेना के जवान शहीद होते हैं, तो उस वक्त नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन समय के साथ उन्हीं वादों को भुला दिया जाता है. ऐसा ही एक मामला खरगोन जिले में सामने आया है, जिसमें साल 1999 में करगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए जिले के घुघरियाखेड़ी निवासी लांस नायक शहीद राजेन्द्र सिंह यादव हैं, जिनके परिजनों को आज तक न्याय नहीं मिला है.
न्याय के लिए शहीद के परिजन लगा रहे खरगोन से लेकर भोपाल तक के चक्कर, नहीं मिल रहा न्याय
साल 1999 में करगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए जिले के घुघरियाखेड़ी निवासी लांस नायक शहीद राजेन्द्र सिंह यादव के परिजनों को आज तक न्याय नहीं मिला है.
साल 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले खरगोन जिले के छोटे से गांव घुघरियाखेड़ी में रहने वाले लांसनायक शहीद राजेन्द्र यादव को न्याय दिलाने के लिए आज भी उनके परिजन भटक रहे हैं. बता दें कि शहीद परिवार और उनके गांव के लोग आसपास के स्कूलों का नाम शहीद राजेन्द्र यादव के नाम पर रखना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली. जब सब तरफ से परिजन और ग्रामीण नाकामयाब रहे, तो अब शहीद लांस नायक राजेन्द्र यादव की बेटी अपने पिता को न्याय दिलाने के लिए मैदान में उतर पड़ी है.
वहीं अमर शहीद राजेन्द्र यादव समाज सेवा समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने बताया कि हम साल 2000 से लगातार स्कूलों को शहीद के नाम पर करवाना चाहते हैं, जिसके लिए कई मंत्रियों और कलेक्टर से लेकर भोपाल तक के अधिकारियों के चक्कर लगाए. परिजनों ने बताया कि लगभग ढाई वर्ष पूर्व तात्कालिक आदिवासी विकास मंत्री कुंवर विजय शाह ने स्कूलों के नाम शहीदों के नाम पर रखने की घोषणा भी की थी, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं मिला.