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लॉकडाउन के बाद महंगाई की मार, आसमान छू रहे सब्जियों के दाम

कोरोना काल में लगे लॉकडाउन ने पहले ही लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर कर दी है. एक तरफ जहां लोगों का रोजगार छिन गया है तो वहीं सब्जियों के बढ़े दामों के बाद किचन का जायका भी बदल गया है.

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Published : Sep 18, 2020, 11:09 AM IST

महंगाई की मार
महंगाई की मार

खरगोन। खाद्य पदार्थों की कीमतें अनलॉक हैं. घरेलू आम जरूरत और किराना से जुड़ी अधिकतर वस्तुओं के दाम चरम पर हैं. अधिकतर में 10 से लेकर 50 रुपये प्रति किलो तक की तेजी देखी जा रही है, वहीं अन्य राज्यों से आने वाले उत्पाद भी कीमतों में गर्मी दिखा रहे हैं. महंगाई के कारण आलू में उबाल आ गया है, जबकि टमाटर लाल हो रहा है और प्याज लोगों के आंसू निकाल रही है. स्थानीय स्तर पर सब्जियों की आपूर्ति कम होने से यह समस्या बनी है.

अनलॉक में बढ़ी महंगाई

बिगड़ गया घर का बजट

महंगाई से परेशान ग्रहणी संगीता बड़ोले ने बताती हैं कि महंगाई से घर का सारा बजट बिगड़ गया है. चारों तरफ महंगाई बढ़ रही है. टमाटर पहले दस रुपए किलो थे, आज 80 रुपए किलो हो गए है. इसके साथ हर सब्जी के साथ दालें भी इतनी महंगी है कि बचत करना तो दूर घर चलाना मुश्किल है.

हर वर्ग पर महंगाई की मार

वहीं टीवी एवं इलेक्ट्रॉनिक गुड्स रिपेयर करने वाले मैकेनिक संतोष सोनी ने अपना दर्द व्यक्त करते हुए कहा कि लॉकडाउन में 3 महीन धंधा पहले ही बंद रहा और अब भी काम कुछ चल नहीं रहा है और हर तरफ महंगाई की मार से परेशान हैं. समझ नहीं आ रहा है कि आगे क्या होगा.मोटरसाइकिल मेकेनिक संतोष पाल ने बताते हैं कि लॉकडाउन ने धंधे चौपट कर दिए है. जिससे घर खर्च में जमा पूंजी खत्म हो गई. लेकिन ऑनलॉक में भी काम नहीं चल रहा हैं. वहीं सब्जी विक्रेता का कहना है कि सामान्य दिनों में सब्जियों के भाव कम ही रहते है लेकिन अब सब्जियों के भाव में एकदम से उछाल आया है. जो टमाटर 20 रुपए किलो बिकते थे वो आज 80 रुपए किलो है. आलू 40 रुपए किलो बिक रहा है, जो 15 से बीस रुपये किलो बिकता था. पहले शिमला मिर्च 20 रुपए किलो था अब 80 रुपए किलो फूल गोभी का भाव 30 रुपए रहता है.

महंगाई से परेशान अन्नदाता

महंगाई का किसानों पर भी व्यापक असर पड़ा है. किसान मोहन कुमावत ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान फसल कमजोर हुई है. कपास का भाव नहीं मिला और बाजार में हर इतनी महंगाई है कि समान खरीदना मुश्किल हो रहा है.

कोरोना ने बढ़ाई महंगाई

वही महंगाई के कारण को जानने के लिए इटीवी ने रिटेल व्यापार दीपक महाजन से बात की तो दीपक ने बताया कि पहले के भावों में मुकाबले अभी के भावों में जमीन आसमान का अंतर है. कोरोना से पहले तुअर दाल 70 रुपए थी आज 95 रुपए है.चाय की पत्ती का भाव 200 रुपए था आज 400 रुपए है. आसाम में चाय की पत्ती का उत्पादन कम हो गया है.

ये है कीमतें बढ़ने का कारण

कीमतें बढ़ने का कारण सब्जियों की आवक में कमी और ट्रांसपोर्टेशन है, लॉकडाउन और कोरोना की वजह से कीमतें आसमान छू रही हैं. बढ़ती महंगाई ने आम आदमी के खाने के स्वाद को फीका बना दिया है. दालों की कीमत तो आसमान छू ही रही है. वहीं सूबे में सब्जियों के दाम बेतहाशा बढ़ते जा रहे हैं.

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