खंडवा। 'नर्मदा बचाओ आंदोलन' एक बार फिर जल सत्याग्रह की राह पर आ गया है. प्रर्दशन कर रहे ये लोग ओंकारेश्वर बांध के जलस्तर पर बगैर पुनर्वास के बढ़ाने से नाराज हैं. इसके चलते नर्मदा बचाओ आंदोलन में ग्रामीणों ने अनिश्चित काल के लिए जल सत्याग्रह शुरू कर दिया हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि लोगों का पुनर्वास एवं अनुदान अभी तक उन्हें नहीं मिला हैं.
'नर्मदा बचाओ' के लिए एक फिर जल सत्याग्रह पर लौटे ग्रामीण खंडवा के ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने के विरोध में स्थानीय लोगों का आज से जल सत्याग्रह शुरू हो गया है. मांधाता तहसील के कामनखेड़ा गांव के ग्रामीणों और आसपास के डूब प्रभावित लोग इस सत्याग्रह को समर्थन दे रहे हैं. लोगों के खेत जमीन और मकान पूरी तरह नर्मदा के बैंक वाटर में डूब चुके हैं. यहां डूब प्रभावितों की समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई हैं. इन दिनों जहां सारा देश रोशनी का पर्व दीपावली मना रहा हैं. वहीं ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाने के विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में डूब प्रभावितों ने जल सत्याग्रह शूरू कर दिया हैं.
नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रमुख आलोक अग्रवाल के नेतृत्व में कामनखेड़ा गांव में जल सत्याग्रह शुरू हो गया है. उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में एक और जहां सभी लोग दीपावली की खुशियां मना रहे हैं. वहीं ओंकारेश्वर बांध के प्रभावित परिवार, शासन से विसंगति पूर्ण और मानवीय नीतियों की वजह से काली दीपावली मनाने को मजबूर हैं.
तीसरा जल सत्याग्रह
ओंकारेश्वर बांध का जलभराव बिना पुर्नवास के बढ़ाने के विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन का यह तीसरा जल सत्याग्रह आंदोलन का आगाज हो गया है. इससे पहले भी दो बार 17 दिन और 32 दिन का जल सत्याग्रह आंदोलन किया जा चुका है और यह तीसरा आंदोलन है.
मांधाता एसडीएम ममता खेड़े ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार एनएचडीसी को जो भुगतान करना है वो प्रक्रिया जारी है. किसानों के दस्तावेज और मानवीय दृष्टिकोण संबंधी दिक्कतों का समाधान निकाला जा रहा है. परिवहन के लिए नाव और वाहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसके अलावा किसानों से बात कर मामले में समाधान की कोशिश जारी हैं.