खंडवा।आदिवासी ग्राम लंगोटी में अंध विश्वास चरम पर है. गांव में एक पखवाड़े में चार बच्चों की मौत के बाद गांव में इसे देवीय प्रकोप से जोड़ा जा रहा है. इसके लिए महिलाओं ने गांव में भगोती डाली, देवी की पूजा के दीप जलाए और उपवास भी रखा. इसके साथ ही आज के दिन घर में मांस और मंदिरा का सेवन करने पर भी पाबंदी लगा दी. गांव में अंध विश्वास इस कदर है कि ग्रामीण अस्पताल जाने के पहले झाड़ फूंक कराते हैं. ओझाओं को यहां पड़ियार बोला जाता है, जो हर एक बिमारी का उपचार करने का दावा करते हैं. चार बच्चों की मौत के बाद गांव में पूजा का दौर शुरू हो गया है.
तेज बुखार के बाद सिरदर्द और फिर मौत
पिछड़ा गांव लंगोटी में दहशत है. लोग डरे हुए हैं. गांव की जनसंख्या करीब दो हजार है. पिछले एक पखवाड़े से भी ज्यादा हो गया है, लंगोटी गांव के बच्चों को तेज बुखार आता है, सिर में दर्द होता है और बच्चा सीधे मौत की आगोश में चला जाता है. आठ साल की मृतका रेणुका को 19 जुलाई को बुखार आया. अगले दिन गले में और फिर सिर में तेज दर्द होने लगे. परिजन कुछ समझ पाते और इलाज के लिए ले जाते, इससे पहले ही 20 जुलाई को बच्ची की मौत हो गई.
15 दिनों में चार बच्चों की मौत
ऐसे ही तीन बच्चे निलकेश कनौजिया, अभिषेक पाटिल तथा रघुवीर पाटिल की मौत एक-एक करके हो गई. ग्रामीण दहशत में हैं कि गांव में कोई बीमारी फैली है या कोई दैवीय प्रकोप है. घटना की जानकारी लगते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम को लेकर खंडवा सीएमएचओ डॉक्टर डीएस चौहान लंगोटी गांव पहुंच गए. स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीणों से चर्चा की. इस दौरान जो बच्चे बीमार मिले उसे जिला अस्पताल में भिजवाया गया और तांत्रिक के चक्कर में न पड़ने की सलाह दी गई.