जबलपुर। संस्कारधानी में मेडिकल छात्र-छात्राओं से पैसा लेकर पास और फेल करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. दावा किया जा रहा है कि ये घोटाला व्यापमं कांड की तरह बड़ा हो सकता है. इसे लेकर जबलपुर की मेडिकल यूनिवर्सिटी में जांच भी शुरू हो गई है. आरोप है कि मामले का खुलासा होने के बाद रिजल्ट तैयार करने वाली कंपनी भी डेटा लेकर भाग गई है.
आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में गड़बड़ी के आरोप
मध्य प्रदेश की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी पर एक बड़े घोटाले के आरोप लग रहे हैं. आरोपों की जांच भी शुरू हो गई है. आरोप है कि चिकित्सा शिक्षा से जुड़े हजारों छात्रों से पैसा लेकर पास और फेल करने का खेल आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर में खेला जा रहा था. इस मामले में आईरटीआई लगाने वाले एक्टिविस्ट अखिलेश त्रिपाठी ने दावा किया है कि इस मामले का खुलासा होने पर अरबों रुपए का घोटाला सामने आएगा.
पूरे प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा का नियंत्रण
मध्य प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज फिर वो सरकारी हो और निजी नर्सिंग पैरामेडिकल कॉलेज, सभी कॉलेजों को मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के अंतर्गत जोड़ दिया गया है. मेडिकल चिकित्सा से जुड़े हुए सभी छात्र इसी यूनिवर्सिटी से संबंध रखते हैं, यही मेडिकल यूनिवर्सिटी छात्रों की परीक्षा भी लेती है. इसके बाद यूनिवर्सिटी माइंड लॉजिक नाम की कंपनी को पूरा डेटा भेजती है और ये कंपनी मार्कशीट बनाती है.
परीक्षा नियंत्रण विभाग पर लगे आरोप
इस मामले में यूनिवर्सिटी के परीक्षा विभाग के कुछ कर्मचारियों पर भी आरोप लगे हैं. RTI एक्टिविस्ट ने आरोप लगाए हैं कि टेबुलेशन के बाद छात्रों के पास या फेल होने की जानकारी मेडिकल यूनिवर्सिटी के परीक्षा विभाग के पास आती है, तो परीक्षा नियंत्रण करने वाले विभाग के कर्मचारी छात्रों और कॉलेजों से संपर्क करते हैं. इसके बाद पैसों का लेनदेन करके छात्रों को पास किया जाता था. बताया जा रहा है कि एमबीबीएस के मामले में यह पैसा लाखों में होता है.