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मनमाने ढंग से वसूले जाने वाले किराये के खिलाफ जनहित याचिका - मनमाने ढंग से वसूले जाने वाले किराये के खिलाफ जनहित याचिका

बस ऑपरेटरों द्धारा मनमानी तरीके से किराया वसूली को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है. दायर मामले में आरोप था कि शासन के गजट नोटिफिकेशन में एक रुपया प्रति किमी के हिसाब से किराया निर्धारित है, लेकिन डेढ़ से दोगुना बस ऑपरेटर यात्रियों से किराया वसूल कर रहे हैं.

Jabalpur High Court
जबलपुर हाईकोर्ट

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Published : Mar 18, 2021, 2:58 AM IST

जबलपुर। प्रदेश में बस ऑपरेटरों ने निर्धारित किराया दर से मनमानी तरीके से वसूली को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई थी. दायर मामले में आरोप था कि शासन के गजट नोटिफिकेशन में एक रुपया प्रति किमी के हिसाब से किराया निर्धारित है. इसके बावजूद बस ऑपरेटर्स डेढ़ से दोगुना किराया यात्रियों से वसूल कर रहे हैं. चीफ जस्टिस मो. रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने मामले में आवेदक से कहा है कि वो परिवहन आयुक्त के समक्ष विस्तृत अभ्यावेदन दे. जिस पर विधि अनुसार निर्णय ले कि नोटिफिकेशन की निर्धारित दर से अधिक किराया वसूल न हो. इस पर वह उचित कार्रवाई करें. इसके लिये युगलपीठ ने उन्हें तीन माह की मोहलत दी है.

फ्यूल के बढ़ते दाम बस ऑपरेटरों के लिए बने मुसीबत

रिटायर्ड इंजीनियर की ओर से जनहित याचिका

यह जनहित याचिका जबलपुर के गढ़ा में रहने वाले रिटायर्ड इंजीनियर सीताराम यादव की ओर से दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि मप्र शासन के गजट नोटिफिकेशन में एक रूपया प्रति किमी के हिसाब से किराया निर्धारित है. इसके बावजूद भी बस ऑपरेटर मनमाना किराया वसूल कर रहे हैं. मामले में बतौर उदाहरण देते हुए बताया गया कि जबलपुर-कटनी की दूरी 97 किमी है, लेकिन उसका किराया 150 से 200 रुपये वसूल किया जाता है, यही हाल मंडला-जबलपुर मार्ग के भी है. इतना ही नहीं मामले में राहत चाही गई थी कि पूर्व की भांति बस स्टॉपों पर किराया सूची चस्पा की जाये ताकि मनमाने किराया वसूली पर रोक लगाई जा सके और उसकी पूरी मॉनिटरिंग होनी चाहिए.

किराये के नाम पर बस ऑपरेटर्स करते हैं लूट

आवेदक की ओर से कहा गया है कि उक्त नोटिफिकेशन मई 2015 को जारी हुआ था. जिसके बाद उस पर कोई फेरबदल नहीं किया गया है. लेकिन इसके बावजूद भी बस ऑपरेटरों ने मनमाने तरीके से जब तब किराया बढ़ा दिया है, जो कि अनुचित है. आवेदक की ओर से कहा गया कि आरटीआई के तहत ली गई जानकारी में उन्हें वर्ष 2015 के नोटिफिकेशन के तहत ही अन्य रूटों के किराये की जानकारी उपलब्ध करायी गई है. जिससे स्पष्ट है कि बस ऑपरेटर मनमाने तरीके से वर्षो से किराये में लूट मचाए हुए है. मामले में परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव, आयुक्त परिवहन विभाग सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया था. सुनवाई के बाद न्यायालय ने मामले का पटाक्षेप करते हुए उक्त निर्देश दिये. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा.

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