जबलपुर। हाईकोर्ट में सोमवार को एक बार फिर स्कूल फीस के मामले पर सुनवाई हुई. सीबीएसई की ओर से जवाब पेश किया गया, जिसमें सीबीएसई का कहना है कि, जब वे किसी संस्था को स्कूल खोलने की मान्यता देते हैं, तब यह स्पष्ट कहा जाता है की, स्कूल एक चैरिटेबल ट्रस्ट होगा, यह पैसा कमाने का धंधा नहीं हो सकता और यदि पैसा कमाने जैसी कोई बात सामने आएगी तो मान्यता रद की जा सकती है. इसलिए सीबीएसई ने ये स्पष्ट किया है कि स्कूलों को ट्यूशन फीस के अलावा बाकी फीस लेने का अधिकार नहीं है. इसलिए निजी स्कूलों की ट्यूशन फीस के अलावा फीस मांगने की बात को रद करते हुए इस याचिका को निराकृत किया जाए.
HC में CBSE का जवाब, कहा- स्कूल पैसा कमाने का धंधा नहीं, चैरिटेबल ट्रस्ट नहीं कर सकता कमाई
कोरोना काल में स्कूल कॉलेज बंद हैं, लेकिन निजी स्कूल अभिभावकों पर फीस के लिए दबाव बना रहे हैं. फिलहाल इस मामले को लेकर जबलपुर हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है, जिसकी आज सुनवाई हुई. सीबीएसई में इस मामले में अपना जवाब कोर्ट में पेश करते हुए कहा है कि, 'स्कूल पैसे कमाने का जरिए नहीं हो सकते हैं', साथ ही ये भी दलील दी है कि, 'चैरिटेबल ट्रस्ट कमाई नहीं कर सकता है'.
वहीं इस मुद्दे पर जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मंच की ओर से एक नया आवेदन लगाया गया है, जिसमें ये कहा गया है कि, राज्य और केंद्र सरकार ने ऑनलाइन एजुकेशन में बच्चों को खास तौर पर प्राइमरी और प्री-प्राइमरी के बच्चों को पढ़ने की अनुमति दी है. यह पूरी तरह से गलत है और ऑनलाइन एजुकेशन में मोबाइल के इस्तेमाल से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा. इसलिए राज्य और केंद्र सरकार के इस आदेश को रद किया जाना चाहिए. हालांकि अभी तक याचिका में अंतिम आदेश नहीं हुआ है. 1 सितंबर के लिए इस मामले को दोबारा लगाया गया है. जिसमें सरकार से जवाब मांगा गया है.