जबलपुर। लॉकडाउन में रियायत मिलते ही मां नर्मदा की तस्वीर भी अपने पुराने स्वरूप में लौटने लगी है. ढाई महीने तक स्वच्छ और निर्मल जल वाली नर्मदा नदी एक बार फिर प्रदूषण की चपेट में आ गई है. जबलपुर में भी लॉकडाउन खुले महज चंद दिन ही बीते हैं कि नर्मदा को प्रदूषित करने वाले लोगों को घाटों में जमावड़ा लगने लगा है. नर्मदा नदी के घाटों में पूजा-पाठ का दौर भी शुरू हो गया है, लोग नहाने भी लगे हैं तो वहीं कपड़े धोने वालों की भी घाटों में लाइन लग गई है.
एक बार फिर बढ़ा नर्मदा में प्रदूषण का स्तर कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन ने बदली थी नर्मदा की तस्वीर
लॉकडाउन के कारण लोगों का नर्मदा के घाटों पर आना पूरी तरह से प्रतिबंध था. ऐसे में ढाई महीने के लिए नर्मदा नदी की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई थी. मां नर्मदा के भक्त भी कहते थे कि इतना साफ और स्वच्छ नर्मदा का जल आज से पहले कभी नहीं देखा गया था.
ऐसा लगता था कि मानो मां नर्मदा अभी ही धरती पर उतरी है, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खुला तो मां नर्मदा की तस्वीर अपने आप फिर बदल गई. कुछ स्थानीय लोगों ने घाटों पर प्रदूषण करने वाले लोगों को समझाने का प्रयास भी किया, लेकिन वह निसार्थक निकला, ऐसे में अब फिर नर्मदा अपने पुराने स्वरूप में जल्दी ही आपको देखने मिलेगी. आगामी कुछ दिनों मे नर्मदा के घाटों में गंदगी भी पसरने लगेगी.
भीड़ की वजह से नर्मदा में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है लॉकडाउन के दौरान साधु-संतों ने जिला प्रशासन से की थी अपील
जिस समय लॉकडाउन लगा हुआ था, उस समय मां नर्मदा के जल को देखते हुए साधु-संतों ने जिला प्रशासन से अपील की थी कि जिस तरह से लॉकडाउन के समय मां नर्मदा के घाटों को स्वच्छ और मां के जल को साफ रखा गया है, उसको देखते हुए प्रशासन कुछ इस तरह का उपाय करे कि आने वालों दिनों में भी नर्मदा की यही सुंदरता बरकरार रहे. लेकिन साधु-संतों की इस अपील पर जिला प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया, नतीजा आपके सामने है.
लॉकडाउन में रियायत मिलते ही नर्मदा एक बार फिर प्रदूषण की चपेट में आ गई नर्मदा नदी में प्रशासन ने कपड़े धोने, साबुन इस्तेमाल करने पर लगाया है प्रतिबंध
जिला प्रशासन में नर्मदा नदी के सभी घाटों में कपड़े धोने, साबुन, शैंपू का इस्तेमाल करने और पूजा की सामग्री विसर्जित करने पर प्रतिबंध लगा रखा था. बावजूद इसके प्रशासन की नाक के नीचे यह सब एक बार फिर से शुरू हो गया है.
कहा जा सकता है कि मां नर्मदा का हर भक्त यही चाह रहा है कि काश ये लॉकडाउन ऐसे ही रहता तो मां नर्मदा कभी भी प्रदूषित नहीं होती. फिलहाल जिला प्रशासन से लोगों ने अपील है कि मां नर्मदा को प्रदूषित होने से रोकने के लिए कोई कड़ा कदम उठाए.
जल विशेषज्ञ की राय में कैसे बदला है मां नर्मदा का स्वरूप, आप भी सुनिए
जल विशेषज्ञ दुष्यंत शर्मा बताते हैं कि लॉकडाउन के समय नर्मदा नदी में जो बायोकेमिकल डिमांड (bod) की मात्रा थी, वह अनुमानित 1 थी. जबकि केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (cod) करीब 3 था. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खुलता है और लोगों का नर्मदा के घाटों में आकर नहाने, कपड़े धोने का सिलसिला शुरू होता है तो यही नर्मदा का (bod) बढ़कर 2 से 3 और (cod) 7 से 9 पहुंच जाता है. यही वजह है कि लॉकडाउन के बाद नर्मदा के पानी का रंग बदलने लगा है.