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शहर की हवाओं में फैल रहा 'जहर', स्थिती नियंत्रण का दावा कर रहा प्रशासन

जबलपुर में बढ़ रहे वायु प्रदूषण की स्थिती कंट्रोल से बाहर होती जा रही है. 'ग्रीन पीस इंडिया' की रिपोर्ट में जबलपुर में प्रदूषण फैलाने के मामले में प्रदेश में तीसरे स्थान पर है. पूरे भारत की बात की जाए तो शहर का स्थान 81वां है. लगातार बढ़ रहा प्रदुषण आने वाले समय में शहर के लिए बड़ी समस्या बन जाएगा. लेकिन शहर में वायु प्रदुषण मापने वाली मशीनों की माने तो शहर में वायु प्रदूषण की स्थिती नियंत्रण में है.

'Poison' spreading in city winds
शहर की हवाओं में फैल रहा 'जहर'

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Published : Mar 4, 2021, 7:27 PM IST

जबलपुर। शुद्ध हवा और पानी का हमारे जीवन में क्या महत्व है यह सबको पता ही है, लेकिन प्रदूषित हवा यदि हमारे वातावरण में फैल जाए तो क्या होगा? इसकी इसकी कल्पना करना ही एक दुखद अनुभव है. जिले में लंबे समय से हवा में फैले जहर के कारण सांस संबंधी बीमारी के मरिजों में वृद्धी हुई है. 'ग्रीन पीस इंडिया' की रिपोर्ट में जबलपुर प्रदूषण फैलाने के मामले में प्रदेश में तीसरे स्थान पर है. अस्थमा का इलाज कर रहे डॉ. परिमल स्वामी का दावा है कि शहर उन इलाकों में जहां धूल और धुंए की समस्या ज्यादा है वहां हवा में फैले प्रदूषण की वजह से सांस संबंधी बीमारी के साथ कई गंभीर बीमारी होने लगी है. लेकिन शहर में वायु प्रदुषण मापने वाली मशिनों की माने तो शहर में वायु प्रदूषण की स्थिती नियंत्रण में है.

शहर की हवाओं में फैल रहा 'जहर'
  • तीसरे स्थान पर है जबलपुर

जनवरी 2021 में 'ग्रीन पीस इंडिया' संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की है इस रिपोर्ट में जबलपुर प्रदेश में सबसे प्रदूषित शहरों में तीसरे स्थान पर है वहीं पूरे देश की बात की जाए जबलपुर का नंबर 81 है. इस रिपोर्ट ने सरकार के प्रदुषण रोकने वाले प्रयासों को आइना दिखा दिया है. सरकार प्रदुषण रोकने के नाम पर करोड़ो रुपए खर्च कर रही है, लेकिन परिणाम इन खर्चों का दुरुपयोग ही बता रहे है. शहर में रियल टाइम एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन के परिणाम भी चौकाने वाले है. प्रदुषण का लगातार बढ़ता स्तर आने वाले समय में शहर के लिए एक विक्राल समस्या बन जाएगा.

  • प्रदूषण की स्थिती नियंत्रण में- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

शहर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सिर्फ दो जगहों पर वायु प्रदूषण नापने की मशीनें लगाई हैं. इन मशीनों में आने वाले डाटा के अनुसार जबलपुर की आबोहवा की स्थिति बहुत अच्छी है. स्थानीय लोगों की आपत्ति को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी सिरे से नकार रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि शहर में सोमवार और बुधवार को वायुमापन का काम किया जाता है, जिसकी 24 घंटे मॉनीटरिंग की जाती है.

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  • दूषित हवा से हो रही हार्टअटैक, डायबिटीज जैसी बीमारी

डॉ. परिमल स्वामी का कहना है कि ज्यादा हवा प्रदूषित वाले इलाकों में पहले केवल अस्थमा जैसी बीमारियों वाले मरीज आते थे, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि जिन लोगों को अस्थमा होता है उन्हीं को हार्टअटैक और डायबिटीज जैसी बीमारियां भी होने लगती हैं. डॉ. स्वामी का कहना है कि वायु प्रदूषण की वजह से पहले तो अस्थमा की समस्या होती है, लेकिन यदि अस्थमा होने के बाद भी मरीज प्रदूषण वाले इलाके में रहता है तो उसे हार्टअटैक और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है.

  • 83 हजार लोगों की मौत

वायु प्रदूषण के कारण मोतियाबिंद, हार्ट डिजीज, स्ट्रोक डायबिटीज और लंग कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं. इसके कारण बड़ी संख्या में लोग अस्पताल भी पहुंच रहे हैं, मेडिकल जनरल 'द लेजेंड' के एक आंकड़े के मुताबिक 2017 में मध्यप्रदेश के करीब 83 हजार लोगों की जान वायु प्रदूषण के कारण जा चुकी है.

  • यह है हवा को मापने का पैमाना
स्तर एक्यूआई
गुड 00 से 50
सेटिस्फेक्ट्री 51 से 100
मॉडरेट 101 से 200
पुअर 201 से 300
वेरी पुअर 301 से 400
सीवर 401 से 500
  • वायु प्रदूषण कम करने के सरकारी प्रयास नाकाम

शहर में प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार कई प्रयास कर रही है, लेकिन सरकार का हर प्रयास प्रदूषण को कम करना तो दूर प्रदूषण को रोकने में भी समर्थ नहीं हो रहा है. सरकार शहर में पौधारोपण कर हरियाली तैयार कर रही है. लेकिन इसमें ज्यादातर हिस्सा सजावटी है. जिसका प्रदूषण को कम करने के लिए बहुत ज्यादा रोल नहीं है. पैसा बेशक बहुत ज्यादा खर्च हो रहा है, लेकिन इसका असर नजर नहीं आ रहा है.

  • मास्क है अस्थाई समाधान

कुछ डॉक्टरों का दावा है कि धूल में कुछ वायरस होते हैं जो एलर्जी पैदा करते हैं. इसलिए बहुत से लोगों को धूल की वजह से नाक में जलन पानी आना और बुखार जैसी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं. इसका इलाज केवल मास्क है ताकि शरीर के अंदर धूल ना जा सके.

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