जबलपुर।प्रदेश में कुल 702 सरकारी संस्थान हैं, इसमें सरकार के मंत्रालय, विभाग, निगम, स्वास्थ्य संस्थाएं, कंपनियां और यूनिवर्सिटी समेत कई संस्थान हैं. शहर के एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने इन सभी सरकारी संस्थानों में सूचना अधिकार कानून (Right to Information Act) का बारीकी से अध्ययन किया, तो पाया की प्रदेश (MP) में केवल 17% संस्थान ही इस कानून का पालन कर रहे हैं.
हाईकोर्ट में चुनौती
आरटीआई एक्टिविस्ट जूनियर लॉ एसोसिएशन के भी सदस्य है और इसी संस्था के बैनर तले उन्होंने हाईकोर्ट (Highcourt) में एक जनहित याचिका पेश की है, जिसमें सूचना अधिकार अधिनियम का सही तरीके से पालन नहीं होने का मुद्दा उठाया. आंकड़ों के साथ यह जानकारी दी गई है कि ज्यादातर विभाग सूचना अधिकार अधिनियम की शर्तों का सही तरीके से पालन नहीं कर रहे हैं. इसकी वजह से सरकारी पैसे का दुरुपयोग हो रहा है. साथी ही जनता तक सही जानकारी नहीं पहुंच पा रही है, जो उसका अधिकार है मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार और राज्य सूचना आयोग से भी जवाब मांगा है.
सूचना अधिकार कानून
इस कानून के तहत केवल सरकारी कामकाज से जुड़े कागज आवेदन देकर लेने का अधिकार आम आदमी को नहीं है, बल्कि हर विभाग को अपनी वेबसाइट पर सूचना अधिकार अधिनियम के तहत 17 बिंदुओं की जानकारी सार्वजनिक करनी है. इसके लिए किसी भी आम आदमी को आवेदन देने की जरूरत नहीं है. इसमें सरकारी विभाग में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की संपत्ति का ब्यौरा विभाग में पैसे के आने और जाने का हिसाब अधिकारियों के कर्तव्य और अधिकार अधिकारी कर्मचारियों की तनख्वाह विभाग किस प्रकार की स्वीकृति या असहमति या देता है. इस तरीके से लगभग 17 बिंदुओं की जानकारी हर विभाग को सार्वजनिक करना है, और कानून के तहत यह जरूरी है सरकारी संस्थानों ने अपनी वेबसाइटों पर सूचना अधिकार कानून का पेज तो बनाया है लेकिन इस पर जरूरी जानकारियां उपलब्ध नहीं है.
खटाई में RTI Act! MP में सिर्फ 17% विभाग ही देते हैं जानकारी, ऑनलाइन आवेदन की उठी मांग
जबलपुर के एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने सभी सरकारी संस्थानों में सूचना अधिकार कानून (Right to Information Act) का बारीकी से अध्ययन किया, तो पाया की प्रदेश में केवल 17% संस्थान ही इस कानून का पालन कर रहे हैं, जबकि प्रदेश (MP) में कुल 702 सरकारी संस्थान (government institution) हैं.
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जानकारी देने में आनाकानी करते हैं अधिकारी
सूचना अधिकार के तहत सरकारी विभागों को आवेदन कर्ता को चाही गई जानकारी देना जरूरी है. सिर्फ रक्षा और सुरक्षा से जुड़े हुए गोपनीय मुद्दों की जानकारी नहीं दी जा सकती. इसके अलावा सारी जानकारी सार्वजनिक की जा सकती है, और कोई भी सरकारी विभाग इसके लिए मना नहीं कर सकता, लेकिन इसके बाद भी अधिकारी कर्मचारी जनता से जुड़ी हुई जानकारियां देने में आनाकानी करते हैं.