जबलपुर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव, नेशनल मेडिकल कमीशन के सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव, डीएमई, मप्र निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के सचिव, प्रवेश एवं फीस निर्धारण समिति के सचिव और मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष व सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन व ओबीसी छात्र सूर्यकांत लोधी एवं अजय प्रताप सिंह की ओर से दायर की गई. जिसमें कहा गया है कि नीट यूजी प्रवेश में हॉरिजोन्टल तथा वर्टिकल आरक्षण को नियम अनुसार लागू नहीं किया गया है.
ये हैं आरोप :आरोप है कि नीट यूजी काउंसलिंग में राज्य शासन ने व्यापक पैमाने पर धांधली की है, जिस कारण कई ओबीसी उम्मीदवारों को हक मारा गया. आवेदकों की ओर से कहा गया कि कि मप्र आरक्षण अधिनियम 1994 में विधान सभा द्वारा 14 जुलाई 23 को संशोधन करके ओबीसी की 51 फीसदी आबादी को दृष्टिगत रखते हुए 27 फीसदी आरक्षण लागू किया गया है. मप्र शासन द्वारा 10 मई 2023 को शासकीय स्कूल में कक्षा 6 से 12 तक अध्ययन करने वाले छात्रों को 5 फीसदी, नीट यूजी में प्रवेश हेतु हॉरिजोन्टल आरक्षण लागू किया गया.