जबलपुर। कहते हैं हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं, कोरोना काल ने भी कुछ ऐसे ही तस्वीर दिखाई है. एक ओर जहां वर्षों पुराने रिश्ते और मजबूत हुए तो वही कोरोना काल के दौरान रिश्तों में बंधे नए जोड़ों का बंधन अब टूटने की कगार पर हैं. केवल जबलपुर की बात करें तो सामने आए आंकड़े सामाजिक तौर पर एक चिंताजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं. जहां 2021 में 16 हज़ार शादियां हुईं, जिनमें से 12 हज़ार मामले परिवार परामर्श केंद्र तक पहुंचे.
चंद महीनों में टूट रहा सात जन्मों का बंधन
कहते हैं रिश्ते स्वर्ग में बनते हैं, और ये सात जन्मों का बंधन है. लेकिन बदलते वक्त के साथ ये बंधन इतना कमजोर पड़ रहा है कि सात जन्म क्या, चंद महीनों में रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंच जा रहे हैं. जबलपुर के महिला थाना में परिवार परामर्श केंद्र में पहले जहां इक्का-दुक्का मामले ही पहुंचते थे, वहीं इन दिनों रोजाना औसत में 40 से 50 मामले पहुंच रहे हैं. जिनमें पति-पत्नी एक दूसरे से दूर होने के लिए परेशान दिखें. कोई किसी की भावनाओं को नहीं समझ रहा, मामूली बातों पर घर टूट रहे हैं.
'समझदारी बढ़ी लेकिन जिम्मेदारी से भाग रहे'
परिवार परामर्श केंद्र के प्रभारी अंशुमान शुक्ला बताते हैं कि 1 साल के भीतर परिवार परामर्श केंद्र में जो आंकड़े पहुंचे, वह सामाजिक चिंतन की ओर इशारा करते हैं. आंकड़ों में बीते 1 साल में 16000 शादियां जिले में दर्ज की गई और 12000 मुकदमें परिवार परामर्श केंद्र आ गए. रोजाना पति-पत्नी या रिश्तेदारों के झगड़े संबंधी 40 से ज्यादा शिकायतें आ जाती हैं. अंशुमान शुक्ला का मानना हैं कि लोग समझदार तो हो गए हैं, लेकिन दांपत्य जीवन की जिम्मेदारियों को नहीं समझ पा रहे है.