जबलपुर। लॉकडाउन का असर इंसान के साथ-साथ जानवरों पर भी पड़ने लगा है. विशेष प्रजाति के कड़कनाथ मुर्गे की डाइट में कभी स्पेशल फीड हुआ करता था, जिसकी जगह अब सब्जी-भाजी ने ले ली है. बरगी विधानसभा क्षेत्र के चरगवां सुनवारा गांव के एक पॉल्ट्री फार्म में करीब 450 कड़कनाथ मुर्गे सब्जी-भाजी और पका भोजन खा रहे हैं. कल तक मक्का के दाने और अन्य भोजन के भरोसे रहने वाला कड़कनाथ अचानक से सब्जी-भाजी खाना सीख गए, इस पर कड़कनाथ का पालन पोषण करने वाले राजबहादुर लोधी बताते हैं कि बाजार बंद होने के कारण कड़कनाथ के लिए कहीं से दाना नहीं मिल रहा था, इस वजह से उसने मुर्गों को हरी सब्जियां खिलाना शुरू किया, इसके बाद से ही मुर्गे सब्जियां खाने लगे.
कड़कनाथ मुर्गों की बदली डाइट राजबहादुर कहते हैं कि वे फार्म में कड़कनाथ मुर्गों का पालन करते हैं और मुर्गों को बाजार में मिलने वाली विशेष फीड ही देते हैं, जोकि महंगी होती है और आसानी से मिलती भी नहीं है. लॉकडाउन के दौरान बाजार बंद होने के कारण कड़कनाथ के लिए विशेष फीड नहीं मिल रहा है. कुछ दिनों तक तो राजबहादुर ने दाने खिलाए, लेकिन जब दाना मिलना बंद हो गया तो मुर्गों को देसी डाइट देना शुरू किया, जिसमें सब्जियों को शामिल किया गया.
देसी डाइट के तहत अब मुर्गों को टमाटर, पत्तागोभी, लौकी और खीरे दिए जा रहे हैं, जिसे मुर्गे भी पसंद कर रहे हैं. कड़कनाथ स्पेशल फीड के अलावा कुछ भी नहीं खाते हैं और यदि उन्हें दूसरी कोई खाद्य सामग्री खिलाई जाए तो वे बीमार पड़ जाते हैं, लेकिन कड़कनाथ अब देसी खाना खाकर मस्त हैं, वहीं फार्म संचालक के लिए भी ये खुशी की बात है. पॉल्ट्री फार्म के साथ ही राजबहादुर सब्जियों का उत्पादन भी करते हैं और कई सालों से वे खेती भी कर रहे हैं. कड़कनाथ की डाइट बदलने को लेकर राजबहादुर का ये दावा भी है कि किसी भी मुर्गे की प्रजाति को इसी तरह की देसी डाइट देकर पाला जा सकता है.
अपने दम पर खड़ा किया पॉल्ट्री फार्म
कड़कनाथ की डाइट के साथ ही इस पॉल्ट्री फार्म के शुरू होने की कहानी भी रोचक है, राजबहादुर ने जब पॉल्ट्री फार्म बनाने के लिए लोन का आवेदन दिया तो लोन रिक्वेस्ट रिजेक्ट हो गई, जिसके बाद उसने अपने खेत में ही मिट्टी और बांस से एक झोपड़ी बनाई, जहां मुर्गों को रखा. राजबहादुर बताते हैं कि इस व्यापार को शुरू करने के लिए उसे दर-दर भटकना पड़ा. बैंक और प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काटने के बाबजूद जब उसे कहीं से मदद नहीं मिली तो उसने लोगों से पैसे उधार लेकर ये काम शुरू किया. 6 माह पहले शुरू किए गए व्यापार में उसके पास 450 कड़कनाथ मुर्गें हैं, जो आज की तारीख में उसे अच्छी खासी कमाई का जरिया बने हैं.