जबलपुर। हाईकोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि वर्मतान समय में सरकारी प्राधिकरण न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करते हैं. अवमानना याचिका दायर होने पर न्यायालय के आदेश का पालन करना होता है. ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं, जब अवमानना याचिका दायर होने पर आदेश का परिपालन किया गया. यह बहुत ही खतरनाक स्थिति है और मेरा मत है कि न्यायालय के सरल आदेश को नहीं समझ पाने वाले आधिकारी महत्वपूर्ण पद के योग्य नहीं हैं.
पीठ ने आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय तथा जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ अवमानना कार्रवाई का आदेश जारी किया है. कटनी निवासी शिखा शर्मा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उनके पति शिक्षा विभाग में पदस्थ थे, जिनकी मृत्यु जनवरी 2014 में हो गयी थी. अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने चार सप्ताह में याकिचाकर्ता के आवेदन का निराकरण किये जाने का आदेश जारी किया था. जिसके बाद उन्होने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी. आवेदन निरस्त किये जाने पर उन्होने पुनः याचिका दायर की थी. न्यायालय ने सुनवाई के बाद उनके पक्ष में आदेश जारी किया था. आदेश के खिलाफ सरकार ने रिव्यू याचिका दायर की थी, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया है.