जबलपुर का ग्वारीघाट अब कहलाएगा गौरीघाट, नगर निगम में सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित, संतों ने जताई खुशी
जबलपुर में नर्मदा तट पर बने 'ग्वारीघाट' का नाम बदलकर 'गौरीघाट' कर दिया गया है. महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने संतों के प्रस्ताव को मंजूरी देकर ये फैसला लिया है. संत समाज ने इस पर खुशी जताई है.
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Published : Mar 18, 2023, 10:25 PM IST
मेयर ने बदला जबलपुर ग्वारीघाट का नाम
जबलपुर ग्वारीघाट का नाम बदला
जबलपुर।संस्कारधानी जबलपुर स्थित मां नर्मदा पर बना 'ग्वारीघाट' अब 'गौरीघाट' कहलाएगा. लंबे समय से चली आ रही नाम परिवर्तन की इस मांग को जबलपुर नगर निगम के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने पूरा कर दिया है. निगम की बैठक में शनिवार को नाम परिवर्तन के प्रस्ताव को सत्ता पक्ष और विपक्ष ने पूरे बहुमत के साथ मंजूरी दे दी. इस फैसले को लेकर शहरवासियों में भारी उत्साह है. खासकर संत समाज ने महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू के इस फैसले का खुलकर स्वागत किया है.
जबलपुर ग्वारीघाट का नाम बदला
महापौर ने बताया ऐतिहासिक फैसला: महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने कहा, 'मेरा सपना था कि जब भी मौका मिलेगा, मां नर्मदा के घाट का नाम परिवर्तन जरूर करूंगा. इसके लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाती है इसलिए जब मैं महापौर बना तो ग्वारीघाट का नाम बदलने के लिए प्राथमिकता से काम किया. जिसका परिणाम आज सबके सामने है. सदन ने ऐतिहासिक फैसला किया है. सभी सदस्यों ने एमआईसी के इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दी, जिसमें ग्वारीघाट के नाम को गौरीघाट किया गया है.'
मेयर ने बदला जबलपुर ग्वारीघाट का नाम
संत समाज ने किया स्वागत: जबलपुर के नागरिक अब इस पवित्र स्थान को गौरीघाट के नाम से जानेंगे. महापौर का कहना है, 'ये फैसला संस्कारधानी का गौरव बढ़ाएगा. पूरे शहर की आस्था के केंद्र ग्वारीघाट को संत समाज पहले भी गौरीघाट ही कहता था. अब आधिकारिक रूप से इसका नाम बदले जाने का संत और सामाजिक संस्थाओं ने स्वागत किया है. इस घाट का नाम वास्तव में गौरीघाट ही था. गौरी माता पार्वती का नाम है और नर्मदा शिव तनया हैं इसलिए यह फैसला तर्क सम्मत भी है. संतों ने घाट का नाम फिर से गौरीघाट रखने का प्रस्ताव दिया था, जिसे नगर निगम ने स्वीकार कर लिया.'
मांग को मिला सम्मान:राघव देवाचार्य का कहना है कि महापौर जगत बहादुर अन्नू ने संत समुदाय की मांग को सम्मान के साथ प्राथमिकता देते हुए पूरा किया है. धार्मिक दृष्टि से भी देखा जाए तो मां नर्मदा का यह तट भगवान शिव का अति प्रिय रहा है. इस घाट को गौरीघाट कहना आस्था की दृष्टि से भी तर्कसंगत है.