जबलपुर। प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं में एड्स की जांच के नियम से इस लाइलाज बीमारी के मरीजों की खोज आसान हो गयी है. यही वजह है कि एड्स जैसी गंभीर बीमारी को लेकर लोग चर्चा तक नहीं करना चाहते. सरकारी अस्पतालों में प्रसव के पहले गर्भवती महिलाओं की एड्स की जांच शुरू हो जाने से न केवल इसके मरीजों की जानकारी सामने आ रही है. बल्कि समय पर उनका समुचित इलाज भी शुरू किया जा रहा है. (Jabalpur 32 women aids symptoms)
ART सेंटर में हो रहा है इलाजः दरअसल अकेले अगर जबलपुर की बात करें तो पिछले 7 माह में जबलपुर में 32 गर्भवती महिलाओं में एड्स के लक्षण पाए गए हैं. जिनका नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी यानी एआरटी सेंटर में इलाज किया जा रहा है. स्वास्थ्य महकमे की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की एड्स की जांच कर उन्हें इलाज मुहैया कराए जाए. साथ ही गर्भ में पल रहे भ्रूण अथवा शिशु को भी इसके संक्रमण से बचाया जा सके. स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों के मुताबिक शासन के निर्देश पर गर्भवती महिलाओं की एड्स के अलावा अन्य जांचें की जाती है. जिसमें पिछले 7 माह में 32 महिलाओं में एड्स के लक्षण होना पाया गया है. जिसके बाद महिलाओं का एआरटी सेंटर में इलाज करने के साथ साथ गर्भ में पल रहे शिशु को भी इसके संक्रमण से बचाने की कोशिशें की जा रही है. (Treatment is being done in art center) (sensation of getting aids symptoms in 32 women)
32 महिलाओं में एड्स के लक्षण मिलने से सनसनी विश्व एड्स दिवस विशेष: एड्स के बारे में यह जानकारी है जरूरी
हर माह 5 हजार महिलाओं की होती है एड्स की जांचः शासन के दिशा-निर्देशों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एड्स के संक्रमण की चपेट में आने वाली महिलाओं की पारिवारिक पृष्ठभूमि का खुलासा करने से बच रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक जिले में हर माह 4 से 5 हजार गर्भवती महिलाओं की एड्स की जांच की जाती है. जिनमें से पिछले 7 माह में करीब 50,000 महिलाओं की जांच की गई है. इनमें से 32 महिलाओं में एड्स के लक्षण होना पाया गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक एड्स के संक्रमण की चपेट में आने पर मरीज को करीब 9 साल तक कोई भी लक्षण नजर नहीं आते. इसके बाद संबंधित मरीज को हल्का बुखार, शरीर का वजन घटना, सिर दर्द, कब्ज, डायरिया जैसी शिकायतें आम होने लगती है. (Every month 5 thousand women are tested for aids)
माताओं से शिशु में आने से रोका जा सकता है एड्सः जबलपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. संजय मिश्रा के मुताबिक जबलपुर में सामने आये एड्स संक्रमित गर्भवती महिलाओं का इलाज किया जा रहा है. साथ ही उनके भ्रूण और शिशुओं को भी इस संक्रमण से बचाने के लिए पुरजोर कोशिशें की जा रही है. उनकी मानें तो अब ऐसी दवा उपलब्ध हो गई है, जिसकी मदद से माता के संक्रमण को भ्रूण अथवा शिशु में आने से रोका जा सकता है. (Aids prevented from passing from mother to child)