जबलपुर। जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर नटवरा बरगी नाम के एक गांव में 3 साल की बच्ची के साथ एक दरिंदगी का मामला सामने आया था. पुलिस अब तक आरोपी तक नहीं पहंच सकी है. पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा ने आरोपी पर 10 हजार का इनाम घोषित किया है, साथ ही आरोपी की तलाश के लिए पुलिस की 10 अलग अलग टीमों का गठन करते हुए शहपुरा, चरगवां भेड़ाघाट सहित क्राइम ब्रांच की टीम को भी काम पर लगाया है. इसके साथ ही मासूम के मात-पिता से इस संबंध में पूछताछ की गई है. पुलिस का दावा है कि मासूम के जल्द स्वस्थ होते ही दरिंदों को पकड़ लिया जाएगा. फिलहाल मासूम जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है.
क्या था पूरा घटनाक्रम:दरअसल 21 मार्च की दरमियान रात शहपुरा थाना क्षेत्र के एक गांव में अपने मां-बाप के साथ खेत में सो रही तीन साल की मासूम आदिवासी बच्ची को दरिंदा उठाकर ले गया और उसे अपनी हवस का शिकार बना डाला. रात में 2 बजे जब परिजनों की नींद खुली तो देखा की मासूम बिस्तर से गायब थी. जिसके बाद परिजन उसे ढूंढने के लिए निकले और उन्होंने इसकी सूचना डायल हंड्रेड के माध्यम से पुलिस को दी. पुलिस को सूचना देने के बावजूद कोई भी अधिकारी कर्मचारी मासूम की सुध लेने के लिए उनके गांव नहीं पहुंचा. सुबह रोते बिलखते 3 साल की मासूम खेत की पगडंडियों से घर की तरफ आ रही थी. दरिंदगी का शिकार हुई मासूम के कपड़ों में खून सना हुआ था और उसने परिजनों को इशारों से अपने साथ हुई वारदात की आपबीती सुनाई. जिसके बाद परिजन मासूम को लेकर शहपुरा थाने पहुंचे.
पुलिस की लापरवाही उजागर: हैरानी की बात यह है कि परिजन सुबह 8 बजे से लेकर 12 बजे तक थाने में बैठे रहे लेकिन इस बीच न तो एफआईआर लिखी गई और न ही उसे इलाज के लिए भेजा गया. वारदात की खबर जैसे ही ग्रामीणों को लगी तो वे बड़ी तादाद में थाने पहुंच गए और इसकी सूचना स्थानीय विधायक संजय यादव को दी और पुलिस के कामकाज पर सवाल उठाते हुए नाराजगी जताने लगे. बरगी विधानसभा क्षेत्र के विधायक संजय यादव बच्ची और उसके परिजनों को लेकर जबलपुर के एल्गिन अस्पताल पहुंचे जहां बच्चे को इलाज के लिए दाखिल किया गया. इस मामले पर कांग्रेस के विधायकों ने सरकार और पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस विधायक का आरोप है कि ''बच्ची और उसके परिजनों को 4 घंटे तक थाने में बैठा कर रखा गया. इस दौरान ना तो उसका इलाज शुरू किया गया और ना ही मामला दर्ज किया गया''. कांग्रेसियों का आरोप है कि ''पुलिस इस मामले को सरकार के इशारों पर दबाना चाह रही है, क्योंकि ये मामला आदिवासियों से जुड़ा हुआ है. यही वजह है कि पहले परिजनों की शिकायत के बावजूद भी पुलिस ने तत्परता नहीं दिखाई''.
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