जबलपुर। शहर की पॉश कॉलोनी नयागांव में दिखने वाले तेंदुए से लोगों के खतरा होने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. अब इस मामले पर हाईकोर्ट ने सुनवाई कर दी है. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के सामने अनावेदकों की ओर से विस्तृत जवाब पेश कर कहा गया है कि उक्त भूमि मदनमहल पहाड़ी से लगी हुई है, जो कि करीब 1490 एकड़ है. इसमें वनभूमि, एमपीईबी, ग्रीन लैंड और पांच छोटे-बड़े जल स्त्रोत भी हैं. पूरे हालात पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. स्टॉफ भी तैनात किया गया है और कै ट्रैप भी लगाए गए है. अब तक किसी भी मानव पर तेंदूए ने हमला नहीं किया है. वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम और सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाईन का पालन किया जा रहा है. इस जवाब से सहमत होते हुए कोर्ट ने दायर याचिका निरस्त कर दी है.
नयागांव को-ऑपरेटिव सोसायटी के अध्यक्ष रजत भार्गव की ओर से दायर याचिका दर्ज की गई थी. इस याचिका में कहा गया था कि सोसायटी में दो सौ बंगले हैं, जिसमें एक हजार से ज्यादा लोग रहते हैं. सोसायटी में ज्यादातर रिटायर्ड लोग रहते हैं, जो जज, डॉक्टर सहित कई सम्मानजनक पदों पर कार्यरत थे. याचिका में कहा गया था कि नयागांव क्षेत्र में नवंबर 2019 में पहली बार तेंदुआ देखा गया था.
नयागांव-बरगी हिल्स रोड पर पिछले महिने 19 और 20 तारीख को दो तेंदुओं को क्रॉस करते हुए लोगों ने देखा था. क्षेत्र में दो बच्चों सहित चार सदस्यों का तेंदुआ परिवार है. उक्त मार्ग सोसायटी की लाइफ लाईन है और हाईवे से जुड़ती है. याचिका में मांग की गई थी कि सोसायटी के लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर पेशेवर वन्यजीव संरक्षणवादी की सलाह अनुसार तेंदुए परिवार का सुरक्षित स्थान पर पुर्नवास कराए जाने के निर्देश दिए जाएं. इसके अलावा क्षेत्र और आसपास के इलाकों के वन्यजीवों पर निरंतर निगरानी रखी जाए. क्षेत्र में फैसिंग और सर्च लाइट लगाई जाए. तेंदुए को दूसरे वन्य जीवन क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाए. मामले में वन विभाग के प्रमुख सचिव, सीसीएफ और जिला कलेक्टर को अनावेदक बनाया गया था. मामले की पिछली सुनवाई के दौरान इंटरविनर जगत ज्योत सिंह की ओर से तेंदुए के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा साल 2011 में जारी गाइडलाईन पेश करते हुए जानकारी से अवगत कराया गया था.
अनावेदक की तरफ से पेश किए गए जवाब में कहा गया था कि नयागांव मदनमहल पहाड़ी से लगा हुआ है, जिसका क्षेत्रफल 603 हैक्टेयर यानि करीब 1490 एकड़ का है. इसमें वन भूमि, एमपीईबी, ग्रीन लैंड व प्राइवेट लैंड के अलावा दो बड़े और तीन छोटे जल निकाय भी हैं. मदनमहल क्षेत्र को ईको जोन के रूप में विकसित किया जा रहा है. स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और स्टॉफ तैनात कर पहाडियों पर कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं. तेंदूए ने किसी भी मानव जाति पर हमला नहीं किया है. कुछ आवारा जानवरों को पकड़ा है, जो कि उनका सामान्य व्यवहार है. वह उन्हीं पर जीवित हैं. केंद्र सरकार ने साल 2011 में गाइडलाईन जारी की थी, जिसे यहां दर्शाया गया है. इस पर राज्य सरकार काम कर रहीं है और हर परिस्थिति की लगातार मॉनिटरिंग की जा रहीं है.