जबलपुर। प्रदेश के सामाजिक न्याय और निःशक्तजन कल्याण मंत्री लखन घनघोरिया की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. घनघोरिया के बयान को हाईकोर्ट ने अवमानना मानते हुए सार्वजनिक मंच से माफी मांगने का आदेश दिया था, लेकिन मंत्री ने माफीनामा का सबूत कोर्ट में पेश नहीं किया. जिस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है.
मंत्री घनघोरिया के माफीनामे पर हाईकोर्ट की असंतुष्टि नगर निगम के वकील ने कोर्ट के सामने इस मुद्दे को रखा था. पिछली सुनवाई में मंत्री ने एक माफीनामा पेश किया था और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी थी, तब कोर्ट ने आदेश दिया था कि खुले में गलती करें और बंद कमरे में माफी मांगे, ये नहीं चलेगा. कोर्ट ने कहा कि मंत्री को सार्वजनिक मंच पर सभा में कहना होगा कि वे अतिक्रमण हटाना चाहते हैं और कोर्ट का सम्मान करते हैं.
इस मुद्दे पर दोबारा सुनवाई हुई, तब मंत्री के वकील ने कहा कि मंत्री ने एक तारीख को एक सभा में कोर्ट की मंशा अनुसार अपनी बात रखी है, लेकिन इस मुद्दे पर जनहित याचिकाकर्ता एडवोकेट सतीश वर्मा ने स्पष्ट किया कि कोर्ट ने जिस उद्देश्य से पिछली सुनवाई में मंत्री को हिदायत दी थी, वैसा काम नहीं किया गया है. सभा की बात कहां हुई, कब हुई, इसका कोई सबूत पेश नहीं किया गया है, साथ ही आम जनता इससे अनजान है, इसलिए कोर्ट के आदेशानुसार सार्वजनिक मंच में माफी मांगनी होगी और स्पष्ट करना होगा कि वह अतिक्रमण हटाने का समर्थन करते हैं.
बीते दिनों लखन घनघोरिया ने जबलपुर के सिद्ध बाबा पहाड़ी पर एक सभा में नगर निगम के अमले को चेताया था कि पहाड़ी से अतिक्रमण न हटाए, इस दौरान उन्होंने नगर निगम के वकील को समझाइश देने की बात भी सभा में कही थी.