जबलपुर। शारदीय नवरात्रि में आदि शक्ति के नौ रुपों की उपासना होती है. जहां भक्त नौ दिन तक मां दुर्गा की भक्ति में लीन रहते हैं. इस बार कोरोना के कहर ने त्योहार की चमक फीकी कर दी है. कोरोना काल में सरकार ने भले ही दुर्गा पंडाल सजाने की अनुमति दे दी हो, लेकिन कोरोना के डर से शहर में कम ही पंडाल देखने को मिल रहे हैं. जबलपुर में बुंदेली कलाकृतियों वाली दुर्गा प्रतिमाएं काफी प्रचलित हैं. बताया जाता है कि, यहां बीते 100 सालों से इन्हें रखने का चलन चला आ रहा है. हालांकि कोरोना वायरस की वजह से इस साल पिछले साल की अपेक्षा कम पंडाल लगाए गए हैं.
जबलपुर में दुर्गा पंडाल रखने की परंपरा अंग्रेजों के समय की है. ऐसा कहा जाता है कि, जबलपुर में सबसे पहले बंगाली परिवारों ने बंगाली क्लब में दुर्गा प्रतिमा की स्थापना की थी, शहर के दूसरे लोगों को इन प्रतिमाओं को देखने का मौका नहीं मिलाता था. इससे नाराज होकर जबलपुर के लोगों ने भी अपने पंडाल रखने शुरू कर दिए और इस परंपरा को लगभग 100 साल हो गए हैं. इसी दौरान जबलपुर के कारीगरों ने अनोखी शैली से दुर्गा प्रतिमाएं बनाई, ये मूर्तियां बंगाली मूर्तियों से पूरी तरह से अलग थी. तब से बुंदेलखंडी शैली की इन प्रतिमाओं का चलन चला आ रहा है, आज भी ये प्रतिमा है बुंदेली कला का अद्भुत नमूना हैं.