जबलपुर।जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर नकटिया गांव है. भारत को स्वतंत्र हुए 70 से ज्यादा साल हो गए हैं, देश में एक्सप्रेस वे, स्वर्णिम चतुर्भुज जैसी सड़कें बनाई जा रही हैं, लेकिन चिरा पौड़ी से नकटिया को जोड़ने वाली सड़क अब तक नहीं बन पाई थी. नकटिया गांव के 1000 लोग पहाड़ी रास्तों से ही अपने घर पहुंचा करते थे, यहां इन लोगों की जमीनें हैं और सदियों से यही रहते आए हैं.
यह गांव जबलपुर का सबसे अधिक ऊंचाई पर बसा हुआ है. गांव में सतपुड़ा पहाड़ियों के बीच में आदिवासियों का यह गांव अब तक सड़क से नहीं जुड़ पाया था. लेकिन जब यहां सड़क बनना शुरू हुई तो लोगों को बहुत अच्छा लगा. लगभग 20 करोड़ की लागत से इस दुर्गम पहाड़ पर एक सड़क बनाई जा रही है, यह प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के बनवाई जा रही है.
आदिवासी गांव नकटिया में सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार हो रहा है लेकिन अब गांव वाले इस बात से निराश हैं कि उनकी गांव को जोड़ने वाली पहली सड़क जिसकी लंबाई लगभग 8 किलोमीटर है, वह इतनी कमजोर बनाई जा रही है कि एक बरसात भी नहीं चल पाएगी. पहाड़ के किनारे किनारे कई जगहों पर इस को चौड़ा भी नहीं किया गया है. समस्या यह है कि जिन आदिवासियों को जीवन में पहली बार सड़क मिली हो वे कितनी पिछड़े होंगे, इस बात का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं, इसलिए वे इसकी शिकायत भी नहीं कर पा रहे हैं.
इस दूरदराज इलाके में कोई निरीक्षण के लिए भी नहीं आता, इसलिए ठेकेदार और अधिकारियों की चांदी है. प्रधानमंत्री सड़क योजना के अधिकारी भी हमें सड़क पर ही मिल गए और उन्होंने हमें तकनीकी ढंग से समझा दिया कि सड़क सही बन रही है, आप और गांव के लोग गलत समझ रहे हैं.
नकटिया गांव के लोगों ने अपने गांव में आती हुई सड़क पहली बार देखी है. इसलिए गांव के लोग थोड़े चिंतित हैं कि ज्यादा शिकायतें की तो कहीं यह भी बनना बंद ना हो जाए.