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मदन महल से विस्थापित किए परिवार को भूला जिला प्रशासन, कलेक्टर ने माना पट्टा देने में हुई देर

जबलपुर में कोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन और निगम ने मदन महल में परिवारों को अतिक्रमणकारी मानते हुए उन्हें वहां से हटा दिया था, जिसके बाद प्रशासन द्वारा सुविधा और पट्टा देने के बाद प्रशासन अपने वादे को भूल गया. लिहाजा विस्थापित परिवार मूलभूत सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं.

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Published : Apr 1, 2019, 10:05 PM IST

जबलपुर। लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटा जिला प्रशासन मदन महल पहाड़ी से विस्थापित किए गए हजारों परिवारों को उनके हाल पर छोड़कर भूल गया है. इन विस्थापित परिवारों के हालात यह हैं कि दो महीने बीत जाने के बाद भी इन्हें मूलभूत सुविधाओं के लिए भटकना पड़ रहा है. वहीं कलेक्टर छवि भारद्वाज ने माना कि विस्थापितों को पट्टा देने में देर हो गई है

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हाईकोर्ट के निर्देश पर जिला प्रशासन और नगर निगम ने मदन महल पहाड़ी में बसे हजारों घरों को अतिक्रमण मानते हुए, उन्हें वहां से विस्थापित कर तिलहरी में बसाया है. प्रशासन द्वारा विस्थापितों को यह वादा किया गया था कि उन्हें न सिर्फ पट्टे दिए जाएंगे बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राशि भी दी जाएगी.दो महीने बीत जाने के बाद भी विस्थापित परिवारों को न ही पट्टे मिले और न ही राशि मिली है.

विस्थापित परिवारों को भूला प्रशासन


वहीं कलेक्टर छवि भारद्वाज ने इस बात को स्वीकर करते हुए कहा है कि विस्थापितों को पट्टे देने में देरी हुई है. फिर भी उनके लिए जो रोजमर्रा की जरूरतें बिजली-सड़क और पानी इसकी व्यवस्था करवा दी गई है. कलेक्टर की माने तो सबसे पहले पट्टे वितरित किया जाना था पर किसी कारण के चलते ये नहीं हो सका है. प्रशासन तिलहरी के पास रहने वाले लोगों पर नजर बनाए हुए है. उन्होंने कहा कि गर्मी बढ़ने के साथ ही लोगों को स्थानीय समस्या से जूझना पड़ेगा लेकिन प्रशासन प्रयास कर रहा है कि विशेष अनुमति लेकर व्यवस्था करवाई जा सके.

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