जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की नियुक्ति के संबंध में पारित एकल पीठ के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. अब इस प्रकरण में वकील के तौर पर पैरवी की करने वाले वकील नियुक्ति पाकर जज बन गए हैं.
वकील बनकर जो देख रहे थे केस, अब वहीं अधिवक्ता से बन गए जस्टिस - हाईकोर्ट में दायर की थी दायर अपील
जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की नियुक्ति के संबंध में पारित एकल पीठ के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में प्रकरण को देख रहे वकील अब जस्टिस बन गए हैं. अब उन्होंने जस्टिस के तौर पर आदेश पारित किया है. प्रकरण में सरकारी अधिवक्ता के रूप में उपस्थित हो चुके हैं.
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने कर्मचारियों को 60 दिनों के अंदर नियुक्ति प्रदान किए जाने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. अपील में कहा था कि पहले दायर याचिका में सरकारी अधिवक्ता के तौर पर जिसने जवाब पेश किया था, उन्होने जस्टिस बनने के बाद उक्त आदेश जारी किए हैं. याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट जस्टिस संजय यादव और जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने प्रकरण को फिर एकलपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए प्रस्तुत करने के निर्देष जारी किए हैं. युगलपीठ ने आदेश जारी कर कहा कि इस संबंध में एकलपीठ विधि अनुसार मामले का जल्द निराकरण करें.
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने वर्ग 3 और 4 की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजन कर चयन सूची जारी कर दी थी, आरोप लगने के बाद विश्वविद्यालय की कार्य परिषद ने निर्णय लिया था कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति बिना शासन की अनुमति से नहीं की जायेगी और ऐसी सभी नियुक्तियों की कार्यवाही निरस्त की जायेगी. जिसके खिलाफ आवेदकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने अक्टूबर 2019 में आदेश जारी किए थे कि पात्र चयनित उम्मीदवारों को 60 दिनों में नियुक्ति प्रदान की जाए.