इंदौर। आज देश अपना 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है, इसी भारतीय गणतंत्र की नायाब धरोहर है संविधान, जिसकी चुनिंदा प्रतियां देश के अलग-अलग स्थानों पर रखी गई हैं, जिसमें से सबसे खास प्रति देवी अहिल्या पुस्तकालय में रखी गई है. संविधान के भाग-03 में नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लेख है. ठेठ प्राचीन रंगों और प्राकृतिक रूप से तैयार कागज से निर्मित संविधान की इस एकमात्र प्रति पर महापुरुषों और संविधान समिति के सदस्यों के मूल हस्ताक्षर भी हैं.
संविधान की शुरुआत में ही भगवान श्री राम, सीता और लक्ष्मण का सशस्त्र और कलात्मक चित्र है, जो हर नागरिक को स्वतंत्र रूप से जीवन जीने का अधिकार देता है. अन्याय और असत्य के विरुद्ध सत्य की शक्ति के भाव को मूल रूप से दर्शाने के लिए संविधान समिति ने पुस्तक संयोजन के दौरान देश के जननायक क्षणों और कथानक को चुना. उनमें भगवान श्री राम के कथानक का उल्लेख सबसे पहले है. भगवान राम के अलावा गौतम बुद्ध, अमर सेनानी, सुभाष चंद्र बोस, महारानी लक्ष्मी बाई, टीपू सुल्तान और नागरिकता सहित समाजीकरण को मूल चित्रों के रूप में संविधान की भावना के अनुरूप समायोजित किया गया है.
दरअसल, संविधान समिति ने नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भारतीय जनमानस में बसी कहानियों, परंपराओं और महापुरुषों के साथ घटी घटनाओं को संविधान की मूल भावनाओं से जोड़ा है. इसके लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से बुलाए गए चित्रों को संकलित किया गया. संविधान की मूल प्रतियों में यह चित्र आज भी अपना एक अलग महत्व और अस्तित्व बनाए हुए हैं.
संविधान के जिस पेज पर दर्ज है मौलिक अधिकार, उसी पर विराजे हैं श्रीराम
भारतीय संविधान के जिस पेज पर मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है, उसी पर भगवान श्री राम, सीता और लक्ष्मण का सशस्त्र और कलात्मक चित्र स्थापित है. पढ़िए पूरी खबर..
संविधान किसी भी देश का मौलिक कानून है, जो देश के विभिन्न अंगों की रूपरेखा और मुख्य कार्य का निर्धारण करता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद, भाग और अनुसूचियों में लिखा गया है कि यह धर्मनिरपेक्ष, राज्य संघवाद, संसदीय सरकार की खूबियों को दर्शाता है. भारतीय संविधान दुनिया का सबसे विस्तृत लिखित संविधान है. भारतीय संविधान के रचयिता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने ब्रिटेन, अमेरिका, यूएसएसआर, ऑस्ट्रेलिया, जापान, जर्मनी, कनाडा और आयरलैंड से संविधान की विशेषताएं समायोजित की. इस संविधान में सभी धर्मों को देश के समान, संरक्षण और समर्थन की श्रेणी में लाया गया है. इसके अलावा एकल नागरिकता देने वाला एकलौता भारतीय संविधान है, जो देश के किसी भी राज्य के वासी होने पर भेदभाव नहीं करता. भारत में किसी भी व्यक्ति को देश के किसी भी हिस्से में जाने और भारत की सीमा के भीतर कहीं भी रहने का अधिकार है.
भारतीय संविधान में हैं ये मौलिक अधिकार
- समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18 तक)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22 तक)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24 तक)
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28 तक)
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30 तक)
- संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32)