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'दाग' से दूरी खत्म! अरसे बाद अपनों के पास पहुंचेगी गीता

आनंद मूक बधिर संस्थान ने पाकिस्तान से आई गीता को उसके घर पहुंचाने के लिए कई तरह की जद्दोजहद की गई थी. अतंतः गीता के लिए की गई जद्दोजहद अब कारगर सिद्ध होती नजर आ रही है. महाराष्ट्र की एक दंपति ने गीता को अपनी बेटी मानते हुए विभिन्न तरह के दावे किए हैं. अब डीएनए टेस्ट का इंतजार है डीएनए टेस्ट के आधार पर गीता के महाराष्ट्र की बेटी होने के दावे पुख्ता हो सकते है.

Gita was identified by the mark of stomach
पेट के निशान से हुई गीता की पहचान

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Published : Mar 11, 2021, 5:38 PM IST

Updated : Mar 12, 2021, 9:32 AM IST

इंदौर।पाकिस्तान से आई गीता को उसके घर पहुंचाने की जद्दोजहद जिस तरह से ज्ञानेंद्र पुरोहित और मोनिका पुरोहित ने शुरू की थी, वह अब सार्थक सिद्ध होती नजर आ रही है. इसी कड़ी में गीता की पहचान महाराष्ट्र के परभणी जिला के जिंतूर की रहने वाली मीना पांढरे की बेटी के रूप में हुई है. मीना पांढरे ने ज्ञानेंद्र पुरोहित और मोनिका पुरोहित से 29 दिसंबर को मुलाकात की थी और गीता को अपनी बेटी होने का दावा किया था. इसी दौरान मीना पांढरे ने गीता के पेट पर एक दाग होने की बात कही थी. महिला कांस्टेबल ने जब गीता की जांच की तो पेट पर एक दाग नजर आया.

पेट के निशान से हुई गीता की पहचान

इसी तरह का एक निशान गीता की बहन, जिसे पूजा बताया जा रहा है उसके पेट पर भी है. उस निशान के बारे में यह कहना है कि, जन्म के समय उनके परिवार में जन्मी बेटी को इस तरह का निशान लगा दिया जाता है. अतः इस बात से गीता का उनकी बेटी होने के दावा पुख्ता होता नजर आ रहा है. जिस तरह से गीता ने पिछले दिनों बताया था कि उसके गांव में गन्ने के खेत हैं और नदी भी बहती है. इस तरह की लोकेशन जिंतूर में भी है.

  • डीएनए होने के बाद स्थिति होगी स्पष्ट

मोनिका पुरोहित का कहना है कि जिस तरह से गीता ने अभी तक पूरी जानकारी दी थी. उन जानकारियों के आधार पर तो स्थिति स्पष्ट हो गई है कि, गीता महाराष्ट्र के परभणी जिले की ही रहने वाली है. फिलहाल पेट का निशान ही एकमात्र स्थिति स्पष्ट करने का जरिया है. यदि प्रशासन जल्द से जल्द डीएनए करवा लेता है तो निश्चित तौर पर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी. मोनिका पुरोहित का यह भी कहना है कि गीता ने डीएनए करवाने से मना कर दिया है. गीता का कहना है कि उसके शरीर में खून की कमी है और यदि डीएनए करवाया जाता है, तो उसको विभिन्न तरह की परेशानी हो सकती है. प्रशासन भी अभी तक गीता का डीएनए नहीं करवा रहा है.

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  • मुहिम में साथ देने के लिए ईटीवी भारत को दिया धन्यवाद

मोनिका पुरोहित ने ईटीवी भारत को भी धन्यवाद दिया है. उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत ने जिस तरह से गीता को लेकर अभियान चलाया है. उस अभियान ने गीता को उसके परिवार से मिलाने में बहुत बड़ी मदद की है. इस अभियान के लिए मोनिका ने ईटीवी भारत को तहे दिल से धन्यवाद कहा है.

  • 20 जुलाई 2020 को शुरू हुई थी मुहिम

ज्ञानेंद्र पुरोहित और मोनिका पुरोहित को गीता 20 जुलाई 2020 को मिली थी. उसके बाद से ही उन्होंने गीता को उसके माता-पिता तक पहुंचाने के लिए कई तरह के जतन किए. इसके लिए उन्होंने पुलिस प्रशासन का भी सहयोग लिया. सबसे पहले गीता के कहने के आधार पर गूगल मेप नें विभिन्न जगह को चिन्हित किया. उसके बाद ज्ञानेंद्र पुरोहित उस जगह पर गीता को लेकर गए. इसके बाद ही गीता के माता-पिता के दावे आना शुरू हुए थे.

Last Updated : Mar 12, 2021, 9:32 AM IST

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