मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

इंदौर में 27 छोटे-बड़े तालाब, फिर भी होती है हर साल पानी की समस्या, जानिए वजह

इंदौर में शहर में आने वाले समय में पानी की समस्या न हो इसके लिए शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शहर के प्राकृतिक तालाबों को सहेजे जाने की अपील की है. इंदौर शहर में छोटे-बड़े 27 तालाब मौजूद हैं, लेकिन सिर्फ दो तालाबों से ही फिलहाल शहर को पानी सप्लाई होता है.

Inore pind
इंदौर तालाब

By

Published : Jun 10, 2020, 2:47 PM IST

Updated : Jun 11, 2020, 9:14 AM IST

इंदौर। जिस तेजी से इंदौर शहर का विस्तार हो रहा है उतनी ही तेजी से यहां प्राकृतिक संस्थान कम हो रहे हैं. शहर में पानी की समस्या भी गर्मियों के दिनों में बन जाती है. फिलहाल तो इंदौर में नर्मदा नदी से पानी की सप्लाई की जाती है. जिस पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं. खास बात यह है कि इंदौर शहर में छोटे-बड़े करीब 27 तालाब हैं अगर इन तालाबों को सहेजने का काम किया जाए तो शहर में पानी की समस्या दूर हो सकती है.

इंदौर में प्राकृतिक तालाबों को सहेजने के लिए योजनाएं तो कई बनी है, लेकिन वे सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं. यही वजह है कि इंदौर में पानी लगभग 100 किलोमीटर दूर से लाया जा रहा है. शहर की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ रही है उस हिसाब से आने वाले वक्त में पानी की पूर्ति करना यहां एक बड़ी चुनौती होगी.

इंदौर तालाब

सामाजिक संगठनों ने उठाई तालाबों को जिंदा करने की मांग

इंदौर के सामाजिक संगठनों से शहर के सभी तालाबों को पुर्नजीवित करने की मांग उठाई है. सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी का कहना है कि अगर तालाबों को बचाया जाए तो प्राकृतिक पानी से ही इंदौर आत्मनिर्भर बन सकता है. 27 तालाबों में से सिर्फ तो दो तालाबा ऐसे हैं जिससे शहर में पानी की सप्लाई होती है.

किशोर कोडवानी कहते है कि शहर में मौजूद तालाबों की जमीनों पर लगातार अवैध कब्जा किया जा रहा है. इंदौर का पिपलियाहाना तालाब की ही बात की जाए तो तो 600 हेक्टेयर में फैले पिपलियाहाना तालाब पर 68 हेक्टेयर जमीन शासकीय बताई गई है, लेकिन मौजूदा स्थिति में शासकीय जमीन पूरी तरह से अवैध कब्जे में है. सामाजिक कार्यकर्ता के मुताबिक यदि सिर्फ 4 प्रतिशत पानी ही बारिश का सहेजा जाए तो शहर में पानी की कभी कमी नहीं होगी.

तालाबों को सहेजने की उठी मांग

इसी तरह 600 एकड़ में फैले यशवंत सागर तालाब से 30 एमएलडी पानी शहर में लाया जाता है तो बिलावली तालाब से 10 एमएलडी पानी शहर को मिलता है. यदि इंदौर के 15 तालाबों को भी जिंदा किया जाता है तो पानी की समस्या दूर हो जाएगी. निपानिया तालाब को सहेजे जाने के लिए यहां एक अभियान भी शुरू हुआ था. जिसका असर भी हुआ, उस वक्त तालाब के जिंदा होने पर पूरी गर्मी बीतने के बावजूद आसपास के इलाकों में कोई बोरिंग नहीं सूखा था. यही वजह है कि शहर में प्राकृतिक तालाबों को सहेजे जाने की मांग फिर से उठी है.

योजना बनी, लेकिन नहीं हुआ काम

इंदौर के शीतला माता फॉल और तिंछा फॉल से शहर में पानी लाए जाने की योजना बनाई गई थी. जिसमें 1947 एमएलडी पानी शहर को मिल सकता था. इस योजना पर 1000 करोड रुपए खर्च किए जाना अनुमानित था, लेकिन योजना शुरु नहीं हुई है. फिलहाल इंदौर में नर्मदा का पानी 550 मीटर लिफ्ट करके शहर तक लाया जाता है. जिसमें 250 करोड रुपए खर्च होते हैं. यदि शीतला माता फॉल और तिंछा फाल से पानी को लाया जाता तो यही काम 50 से 60 करोड़ में भी किया जा सकता है.

Last Updated : Jun 11, 2020, 9:14 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details