12% तक महंगी हुई कैंसर, हृदय रोग, किडनी की जीवन रक्षक दवाइयां
1 अप्रैल 2023 से नए फाइनेंशियल ईयर की शुरूआत हो गई है. इसलिए अब काफी बदलाव हो रहा है. दवाइयों के सेक्टर में पेनकिलर से लेकर एंटीबायोटिक दवा और अन्य जरूरी दवाओं की दर महंगी हो गई है.
दवा की कीमत में बढ़त
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Published : Apr 2, 2023, 10:58 PM IST
दवा की कीमत में बढ़त
इंदौर।अस्पताल के पलंग पर सांसों से लड़ते बीमार मरीजों को अब महंगाई के बोझ से भी लड़ना पड़ेगा. मरीजों के परिजनों का न सिर्फ कंधा और कमर बल्कि उसका आत्मविश्वास और उम्मीद भी महंगाई के इस बोझ तले दब गई है. पेट्रोल, डीजल, एलपीजी गैस सिलेंडर, आटा और अब जरूरी दवाइयों के दाम आसमान छू लिए हैं क्योंकि 1 अप्रैल 2023 से नए फाइनेंशियल ईयर की शुरूआत हो गई है और सरकार ने भारत सरकार ने जीवन रक्षक दवाओं की दरों में 12 फीसदी तक दाम बढ़ाने का फैसला किया है.
इन दवाओं के बढ़े दाम:दुनिया में दवाओं के कच्चे माल के अलावा लेबर रेट में वृद्धि हो रही है. दवाओं से संबंधित जो उत्पाद भारत सरकार आयात करती है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं. लिहाजा सरकारी नियंत्रण की ऐसी 350 दवाई जिनकी मूल्यवृद्धि सरकार के नियंत्रण में होती है. उन दवाओं के रेट 1 अप्रैल से बढ़ गए हैं. सरकार के फैसले से हृदय रोग के अलावा रक्तचाप किडनी और कैंसर और एनाल्जेसिक मेडिसिन के दामों में वृद्धि हुई है. हालांकि मध्यप्रदेश में दवा बाजार और स्टॉक में पहले से जो दवा मौजूद है वह दवा अपने पुराने प्रिंटेड रेट पर ही मिलेगी. लेकिन नई पैकिंग में आने वाली दवाओं के दाम बढ़े हुए आएंगे.
नए स्टॉक से बढे़गा दाम:मध्य प्रदेश केमिस्ट एसोसिएशन का मानना है कि भारत सरकार दवाओं के रेट में स्टॉकिस्ट का कमीशन एवं अन्य कमीशन का भी ध्यान रखती है. लिहाजा दवाओं के प्रिंटेड डेट के अलावा उन्हें मिलने वाला मार्जिन प्रिंट रेट में ही होता है. इसलिए बाजार पर इसका उतना असर नहीं पड़ेगा लेकिन जो जरूरतमंद मरीज और उनके परिजन इन दवाओं को ले रहे हैं उन्हें जरूर इन दवाओं के दाम 12 फ़ीसदी ज्यादा चुकाने होंगे. केमिस्ट एसोसिएशन के मुताबिक मई और जून तक संबंधित दवाओं का नया स्टॉक आएगा. उसमें वर्तमान प्रिंट रेट के अलावा अतिरिक्त 12 परसेंट का प्रिंट रेट रहेगा.
ब्रांडेड की जगह जेनेरिक विकल्प:दवा के 12% तक महंगे होने का असर मरीजों पर पड़ने वाला है. ऐसी स्थिति में कई मरीज लगातार लेने वाली अपनी दवाइयां ब्रांडेड के स्थान पर जेनेरिक दवाओं का उपयोग कर सकते हैं. हालांकि गंभीर इलाज के मामले में डॉक्टरों द्वारा प्रचलित नाम वाली ब्रांडेड दवाई ही लिखी जाती हैं. इसके अलावा माना यह भी जाता है कि जेनेरिक दवाएं कई बीमारियों के मामले में उतनी असरकारक नहीं रहती जितनी ब्रांडेड दवाएं होती हैं. ऐसी स्थिति में महंगाई के अलावा जेनेरिक दवाई लेने पर भी परेशानी संबंधित बीमारियों के मरीजों को ही होने वाली है. जिसका सामना उन्हें अब महंगी दवाओं के रूप में करना होगा.