MP Assembly Election 2023: भाजपा का चौंकाने वाला फैसला, संजय शुक्ला के सामने मैदान संभालने से पहले कैलाश विजवयर्गीय बोले मैं शॉक्ड हूं
बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए अपनी दूसरी सूची जारी कर दी है. इस सूची में 39 प्रत्याशियों का नाम शामिल है. जिसमें तीन केंद्रीय मंत्री सहित 4 सांसदों को टिकट मिला है. वहीं इंदौर-1 से कैलाश विजयवर्गीय को टिकट मिला है.
कैलाश विजयवर्गीय
इंदौर।मध्य प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच टिकट को लेकर जारी खींचतान के बीच आखिरकार भाजपा ने अपनी दूसरी सूची जारी कर दी है. जिसमें भाजपा ने एक साथ-साथ केंद्रीय मंत्रियों को उतार कर सबको चौंका दिया है. पार्टी ने कमजोर सीटों पर इस बार भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं और सांसदों को उम्मीदवार बनाया है. इंदौर-1 से कैलाश विजयवर्गीय संजय शुक्ला के सामने होंगे. इसके अलावा नरेंद्र सिंह तोमर पहलाद पटेल गणेश सिंह, रीति पाठक मिलाकर कुल 7 नेता भाजपा की नैया पार लगाने के लिए चुनावी मैदान में उतारे गए हैं.
धुरंधर नेताओं को अनपेक्षित सीट से उतारा: यह पहला मौका है जब केंद्रीय मंत्रियों को भी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतार दिया गया है. बताया जा रहा है कि इसके पीछे कहीं ना कहीं पार्टी को एंटी इनकमबैंसी का डर है. वहीं भाजपा के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि हाल ही में मध्य प्रदेश के लिए भाजपा ने जो आंतरिक सर्वे कराया था. उसमें बीजेपी को फिलहाल 85 ही मिलना बताया जा रहा है. यही वजह है कि पार्टी फिलहाल कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है. लिहाजा मध्य प्रदेश में पार्टी के धुरंधर नेताओं को कई अनपेक्षित सीटों पर उतारा गया है.
इंदौर-1 से कैलाश विजयवर्गीय को दिया टिकट:इंदौर में पार्टी ने देपालपुर से फिर मनोज पटेल पर भरोसा जताया है. हालांकि मनोज पटेल को पिछले चुनाव में कांग्रेस के विशाल पटेल के हाथों हारना का सामना करना पड़ा था. वहीं इंदौर की एक नंबर विधानसभा से सुदर्शन गुप्ता के विरोध के चलते पार्टी ने महासचिव कैलाश विजयवर्गी को चुनाव में उतारा है. इधर पार्टी की दूसरी लिस्ट के मायने यह भी है कि भविष्य में यदि मुख्यमंत्री के फेरबदल की स्थिति बनी तो नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गी जैसे दिग्गजों को मौका मिल सकता है. इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया को विधानसभा में नहीं उतारने के पीछे कई राजनीतिक जानकार यह भी अंदाजा लगा रहे हैं की पार्टी उन्हें फिलहाल केंद्रीय राजनीति में ही रखने के मूड में है. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव में प्रहलाद पटेल और नरेंद्र सिंह तोमर जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ सिंधिया का नंबर नहीं लग पाया है.
सिंधिया को लेकर कयासों का दौर जारी: इधर भाजपा की टिकट को लेकर जारी फेरबदल के बीच अब मान जा रहा है कि कांग्रेस भी टिकट वितरण को लेकर अपनी रणनीति बदलने के लिए मजबूर रहेगी. ऐसी स्थिति में भाजपा की कई सीटों के अनुसार कांग्रेस में भी टिकटों के समीकरण चौंकाने वाले हो सकते हैं. जाहिर है कांग्रेस भी अब नए तरह से टिकट वितरण की तैयारी के मूड में नजर आएगी.