इंदौर।प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में अलग-अलग बाइक लेने की होड़ मची हुई है. इसी कड़ी में कई युवाओं ने अपनी बाइक को मॉडिफाइड करवा लिया है, लेकिन मॉडिफाइड बाइक जहां युवाओं के लिए फायदे का सौदा है, वहीं प्रशासन के लिए किसी सिर दर्द से कम नहीं है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ सभी के लिए ये बाइक सिर दर्द बनती जा रही हैं.
मॉडिफाइड बाइक से बढ़ रहा प्रदूषण युवाओं की पसंद मॉडिफाइड बाइक
इंदौर में मॉडिफाइड बाइक का चलन पिछले 2 सालों से काफी बड़ा है. जो युवाओं की पसंद के हिसाब से करवाया जाता है. बिना प्रशासन की अनुमति लिए ही किसी भी बाइक को अपने हिसाब से मॉडिफाइड कर देते हैं. जैसे बाइक पर बैठने की व्यवस्था, साइलेंसर, स्पीड मीटर, बिल लाइट और अन्य तरह से चेंज कर दिए जाते हैं. जिससे बाइक किसी विदेशी बाइक से कम नजर नहीं आती.
बाइक मॉडिफाइड में आता है 25 से 30 हजार रुपए का खर्च
कई बाइकों को बड़ी आसानी से मॉडिफाइड किया जा सकता है. मॉडिफाइड बाइक में 25 से 30 हजार रुपए का खर्च आता है. इस मामले में एक युवा ने कहा कि, उसे बुलेट पसंद है, क्योंकि बुलेट की कीमत करीब एक से डेढ़ लाख रुपए है. जिसे देखते हुए उसने अपने बाइक को ही मॉडिफाइड करा लिया, जिसमें उसे करीब 25 से 30 हजार रुपए ही खर्च पड़ा है. अब उसकी बाइक बुलेट की तरह आवाज करने लगी है. वहीं उसके मॉडिफाइड बाइक को देखकर कई लोग उसकी बाइक की तरह ही अपनी बाइक को बनवाने लगे हैं.
मॉडिफाइड गाड़ियों से बढ़ रहा प्रदूषण
किसी भी बाइक को बाइक मैकेनिक से मॉडिफाइड करवा लिया जाता है, लेकिन जिस तरह से मॉडिफाइड के दौरान साइलेंसर में बदलाव किए जाते हैं, उसके कारण प्रदूषण में भी काफी इजाफा होता जा रहा है. मॉडिफाइड बाइक में जो बुलेट और अन्य तरह के साइलेंसर लगाए जाते हैं, उनमें ध्वनि प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है, जो कई तरह की बीमारियों को जन्म भी देती है. वहीं जो व्यक्ति इन गाड़ियों को चलाता है, उनमें सुनने की क्षमता के साथ ही अन्य तरह की बीमारियों का जन्म हो जाता है.
ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई
इन बाइक में डेसीबल भी काफी अधिक होता है, जिसके कारण कई बार दुर्घटना की संभावना भी बढ़ जाती है. वहीं प्रदूषण विभाग ने शहर के कई क्षेत्रों में साइलेंट जोन भी बनाया है, जहां अगर किसी बाइक सवार द्वारा ध्वनि प्रदूषण किया जाता है, तो उसके लिए ट्रैफिक पुलिस कार्रवाई करती है. कई बार प्रदूषण विभाग को कोई शिकायत मिलती है, तो इसके संबंध में ट्रैफिक पुलिस को बता दिया जाता है. ट्रैफिक पुलिस पूरे मामले की कार्रवाई करती है. आरटीओ भी ऐसे वाहन चालकों पर कर्रवाई कर उनके रजिस्ट्रेशन निरस्त कर देता है. वहीं समय-समय पर प्रदूषण विभाग अन्य विभागों के साथ मिलकर इस तरह की कार्रवाइयों को अंजाम देता है.
इंदौर ट्रैफिक पुलिस का चालानी अभियान
ट्रैफिक पुलिस की बात की जाए तो, इंदौर ट्रैफिक पुलिस समय- समय पर ऐसे मॉडिफाइड वाहनों के खिलाफ चालानी अभियान चलाता है और उन पर विभिन्न धाराओं में कार्रवाई भी की जाती है. मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 190 (2) के तहत कार्रवाई की जाती है. अगर कोई बाइक सवार मॉडिफाइड बाइक जैसे साइलेंसर, ग्लास, मीटर, लाइट लैम्प और अन्य तरह से मॉडिफाइड करवाता है, तो उस पर एक हजार रुपए तक की चालानी कार्रवाई की जाती है. इंदौर ट्रैफिक पुलिस महीने में दो से तीन गाड़ियों पर इस तरह की कार्रवाई करती रहती है. वहीं पिछले साल मॉडिफाइड गाड़ियों में करीब 50 से अधिक गाड़ियों पर चालानी कार्रवाई की गई थी.
बता दें समय-समय पर विभाग मॉडिफाइड गाड़ियों को लेकर अभियान चलाता है, लेकिन ये इतना असरदार नहीं हो रहा है. अगर मॉडिफाइड गाड़ियों को बनाने वालों पर विभागों ने नकेल कसे, तो निश्चित तौर पर इनके प्रचलन में कमी आएगी.