इंदौर।इंदौर। शहर में प्रशासन द्वारा सील किए गए बाल सुधार गृह को एक गैर सरकारी संस्था ने छात्रावास बताया है. इसके साथ ही प्रशासन की कार्रवाई को लेकर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है. पुलिस के अनुसार प्रशासन ने विजय नगर क्षेत्र में वात्सल्यपुरम नाम के कथित अनाथाश्रम को अवैध संचालन के आरोप में 12 जनवरी को सील कर दिया था. इसमें रह रहीं 21 लड़कियों को राजकीय बाल संरक्षण आश्रम और एक अन्य संस्था में भेज दिया था. इन लड़कियों की उम्र चार से 14 साल के बीच है.
बच्चियों को उल्टा लटकाया :इस कथित अनाथालय में रहने वाली लड़कियों ने बाल कल्याण समिति को बताया कि इस परिसर में सजा के नाम पर बच्चों से क्रूर बर्ताव किया जाता था. उन्होंने 17 जनवरी की रात दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में कहा कि चार साल की एक बच्ची ने जब अपने कपड़े गंदे कर दिए थे तो उसे पिटाई के बाद कई घंटों तक बाथरूम में बंद रखा गया और दो दिन तक खाना भी नहीं दिया गया. एफआईआर में यह आरोप भी लगाया गया है कि कथित अनाथालय में बच्चों को उल्टा लटका दिया जाता था और नीचे गर्म तवे पर लाल मिर्च रखकर धूनी जलाई जाती थी.
5 महिलाओं के खिलाफ केस : इस मामले में विजय नगर पुलिस थाने की उप निरीक्षक कीर्ति तोमर ने बताया,‘‘भारतीय दंड विधान और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत दर्ज प्राथमिकी में अनाथालय से जुड़ी पांच महिलाओं के नाम हैं. इन आरोपों की जांच अभी शुरुआती स्तर पर है.’’. उप निरीक्षक ने बताया कि फिलहाल इस मामले में किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. इस मामले में इंदौर की बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष पल्लवी पोरवाल ने कहा,‘‘अनाथालय से बचाए गए बच्चे राजस्थान और गुजरात के रहने वाले हैं. हमने इन राज्यों की संबद्ध बाल कल्याण समितियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे इन बच्चों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि का पता लगाकर हमें रिपोर्ट सौंपें ताकि इनका पुनर्वास किया जा सके.’’
मामला हाई कोर्ट पहुंचा :समिति के अधिकारी ने बताया कि प्राथमिकी में दो बच्चों को एक नाबालिग लड़की के हाथों गर्म चिमटे से जबरन दगवाए जाने और एक लड़की को अन्य बच्चों के सामने निर्वस्त्र किए जाने के बाद भट्टी के पास ले जाकर जलाने की धमकी दिए जाने के भी आरोप हैं. इधर, "वात्सल्यपुरम" परिसर चलाने वाली संस्था "वात्सल्यपुरम जैन वेलफेयर सोसायटी" ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है. संस्था के वकील विभोर खंडेलवाल ने कहा,‘‘वात्सलयपुरम कोई अनाथालय नहीं, बल्कि एक छात्रावास है जहां महज पांच रुपये की वार्षिक फीस में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों की देखभाल की जाती है।’’