इंदौर।अपने नाम के साथ निकनेम या प्यार भरे घर के नाम रखे जाने का ट्रेंड भले अब सिमट रहा हो, लेकिन इंदौर में निक नेम का ट्रेंड आज भी जोरो पर है. खास बात यह है कि अब यही ट्रेंड यहां के कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच नजर आ रहा है. जिनमें एक दो नहीं बल्कि जिले की 9 सीटों में से 8 सीटों पर कांग्रेस के निक नेम वाले प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में हैं. इतना ही नहीं यह प्रत्याशी आज भी अपने मूल नाम के स्थान पर अपने मतदाताओं के बीच निकनेम से ही पहचाने जाते हैं. आईए देखते हैं आखिर कौन-कौन से हैं निकनेम वाले प्रत्याशी.
क्षेत्र क्रमांक 1: संजू उर्फ संजय शुक्ला कांग्रेस के प्रत्याशी हैं. जिन्हें घर में संजू नाम से ही पुकारा जाता है. इतना ही नहीं इनके पिता विष्णु प्रसाद शुक्ला भी इन्हें संजू नाम से ही बुलाते थे. धीरे-धीरे परिवार के अलावा उनका यह नाम उनके विधानसभा क्षेत्र में भी चर्चित हुआ और जो लोग संजय शुक्ला को करीबी से जानते हैं. वह आज भी संजय शुक्ला को संजू ही कह कर बुलाते हैं. इनमें बड़ी संख्या में उनके दोस्त और मतदाता शामिल हैं.
क्षेत्र क्रमांक 2: इंदौर में क्षेत्र क्रमांक 2 के प्रत्याशी चिंटू चौकसे का नाम उनके पिता ने चिंतामण रखा था, लेकिन चिंतामण की जगह दोस्तों ने चिंटू कहना शुरू कर दिया. इसके बाद स्थिति यह रहेगी सब लोग उन्हें चिंटू चौकसे नाम से जानने लगे. अब स्थिति यह है कि अधिकांश लोगों को चिंटू चौकसे का मूल नाम ही नहीं पता है, क्योंकि पूरे इलाके में और चौक से जुड़े कई दस्तावेजों में चिंतामण की जगह अब चिंटू नाम ही लिखा जाता है.
क्षेत्र क्रमांक 3: क्षेत्र क्रमांक 3 से कांग्रेस ने महेश जोशी के पुत्र दीपक जोशी को मैदान में उतारा है. जिन्हें पूरे क्षेत्र में पिंटू के नाम से जाना जाता है. उन्हें घर में निकनेम माता-पिता ने दिया था, लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में और सामाजिक क्षेत्र में कार्य करते-करते उनका नाम भी दीपक से ज्यादा पिंटू के रूप में चर्चित हुआ और बाद में वह अपने नाम के साथ में पिंटू भी लिखने लगे. धीरे-धीरे अब उन्हें क्षेत्र में पिंटू जोशी के नाम से ही जाना जाता है. हालांकि उनके मूल दस्तावेजों में नाम दीपक जोशी ही दर्ज है. अब वह साथ में पिंटू भी लिखते हैं.
क्षेत्र क्रमांक 4: यहां से कांग्रेस ने इस बार राजा मांधवानी को टिकट दिया है. राजा मांधवानी को भी उनके घर में राजू नाम से पुकारा जाता है. उसके अलावा आज भी उनके परिजन के अलावा दोस्त यारों में उन्हें राजा के स्थान पर राजू ही कहा जाता है. इसके अलावा वे भी अपने करीबियों को राजा के स्थान पर अपना नाम कई बार राजू ही बताते हैं. इसलिए दोस्तों परिस्थितियों में वह राजा के स्थान पर राजू नाम से ही ज्यादा चर्चित है.