इंदौर। बीते 37 सालों से बरगी से लेकर सरदार सरोवर तक नर्मदा बांध के विस्थापितों को हक दिलाने के के लिए सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने शिवराज सरकार पर विस्थापितों के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगाया. उन्होंने इंदौर में नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है. धार, बड़वानी और सरदार सरोवर के डूब प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के साथ धरना दे रही मेधा पाटकर का आरोप है कि ''जब तक विस्थापितों के हक में कोई निर्णायक निर्णय नहीं होता तब तक उनका धरना जारी रहेगा.''
हक के लिए भटक रहे विस्थापित लोग: दरअसल सरदार सरोवर बांध के निर्माण के कारण धार, बड़वानी और गुजरात से सटे मध्य प्रदेश के कई इलाके ऐसे हैं जहां रहने वाले हजारों मजदूर किसान और अलग-अलग तबकों के लोगों को विस्थापन के कारण अपना घर बार, खेत खलियान और रोजी-रोटी छोड़नी पड़ी है. लेकिन कई महीने गुजर जाने के बाद भी ऐसे तमाम ग्रामीण या तो विस्थापन के शिविरों में पड़े हैं या फिर अपने हक के लिए दर-दर भटक रहे हैं. लिहाजा ऐसे तमाम लोगों के पक्ष में मोर्चा खोलते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने इंदौर के नर्मदा विकास प्राधिकरण स्थित कार्यालय परिसर में ही अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है.
विस्थापितों के पक्ष में सरकार नहीं ले रही निर्णय: मेधा पाटकर का आरोप है कि ''पूरी नर्मदा घाटी में बरगी बांध से लेकर सरदार सरोवर तक जितने भी बांध बने हैं, उनमें विस्थापितों को उनकी जमीन के बदले में हक नहीं मिल सका है.'' उन्होंने कहा ''अगस्त महीने से अभी तक नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से विस्थापितों की समस्या और उनके हक को लेकर कई कई घंटे की चर्चा चली है, लेकिन विस्थापितों के पक्ष में राज्य शासन कोई निर्णय अब तक नहीं ले पाई है. यही स्थिति जमीन अधिग्रहण के बदले में मुआवजे की राशि को लेकर है. इसके विपरीत शिवराज सरकार ने जो तहसील स्तर पर पुनर्वास अधिकारी पदस्थ किए थे अब उनको भी हटा दिया है.''