इंदौर। शिप्रा नदी में प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्री के खिलाफ आखिरकार कार्रवाई शुरू हो गई है. दरअसल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की आपत्ति के बाद अब इंदौर जिला प्रशासन ऐसी तमाम फैक्ट्री पर कार्रवाई कर रहा है. जो शिप्रा नदी में दूषित जल छोड़ रही थी. पहले चरण में आज इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने जो फैक्ट्री के विद्युत कनेक्शन कटवाने के साथ उन्हें सील कर दिया है, वही इन कंपनियों के खिलाफ अब प्रदूषण नियंत्रण विभाग के स्तर पर भी कार्रवाई की जा रही है.
सीएम डॉ. मोहन यादव की मंशा अनुसार शिप्रा नदी के शुद्धीकरण के लिए इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने उद्योग प्रतिनिधियों के साथ बैठक में स्पष्ट किया था कि शिप्रा नदी में किसी भी तरह का प्रदूषण फैलाए जाने पर जिला प्रशासन जीरो टॉलरेंस रखेगा. ऐसे सभी उद्योग जो औद्योगिक अपशिष्ट बिना उपचार के सीधा नदी और नालों में बहा रहे हैं. उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी. उक्त निर्देशों के तारतम्य में आज राजस्व, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं जिला उद्योग केंद्र के अधिकारियों की टीम द्वारा इंदौर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जहां फैक्ट्रियों द्वारा औद्योगिक अपशिष्ट सीधे नदियों में छोड़ा जा रहा था. उनके विद्युत कनेक्शन काटकर सील करने की कार्रवाई संपन्न की गई. इस कार्रवाई के दौरान कुल 9 फैक्ट्रियों के बिजली कनेक्शन काटकर बंद कराया गया.
यह कंपनियां है शिप्रा में प्रदूषण की जिम्मेदार
जिन फैक्ट्रियों को बंद कराया गया, उनमें समता नगर पालदा स्थित मेसर्स सुप्रीम फूड प्रोडक्ट यूनिट 2, उद्योग नगर पालदा स्थित मेसर्स पेप्पे न्यूट्रिशन प्राइवेट लिमिटेड एवं मेसर्स सन इंडस्ट्रीज, औद्योगिक क्षेत्र सांवेर रोड स्थित मेसर्स साईं मशीन टूल्स प्राइवेट लिमिटेड, ग्राम बरदरी सांवेर रोड स्थित मेसर्स हर्षिता इंटरप्राइजेस, औद्योगिक क्षेत्र बरदरी स्थित मेसर्स संध्या एंटरप्राइजेस, औद्योगिक क्षेत्र सांवेर रोड स्थित मेसर्स विद्युत इलेक्ट्रोप्लेटर्स तथा औद्योगिक क्षेत्र लक्ष्मीबाई नगर स्थित मेसर्स कन्हैया डाइंग एवं मेसर्स मयूर डाइंग शामिल है.