इंदौर। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के दिन मध्यप्रदेश के कई इलाकों में हिंगोट युद्ध की परंपरा है. दीवाली के दूसरे दिन सूर्य ग्रहण के चलते इस बार गोवर्धन पूजा और हिंगोट युद्ध दोनों ही चीजें तीसरे दिन यानि की 26 अक्टूबर को होगी. इंदौर के गौतमपुरा में होने वाले हिंगोट युद्ध की तैयारी पूरी हो चुकी है. इस परंपारगत युद्ध बनाम खेल में ना किसी की हार होती है और ना किसी की जीत (Hingot Yuddha in indore after diwal). बस ये युद्ध भाई चारे का युद्ध होता है. जहां तुर्रा (गौतमपुरा) और कंलगी (रूणजी) नाम दो दल अपने पूर्वजों द्वारा दी गई इस पारंपरिक धरोहर को जीवित रखने के लिए 1 माह पूर्व नवरात्रि से ही हिंगोट (Hingot Yudh 2022) बनाने की प्रक्रिया में जुट जाते हैं. (hingot yudh 2022) (hingot yuddha in indore after diwali) (know how hingot is prepared) (hingote war on 26 October in indore)
जानिए कैसे तैयार होता है हिंगोट: हिंगोट युद्ध की ये परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है. हिंगोट एक फल होता है. लोग लगभग एक माह पहले से कटीली झाड़ियों में लगने वाले हिंगोट को जमा करते हैं, उसके अंदर के गूदे को अलग कर दिया जाता है और उसके कठोर बाहरी आवरण को धूप में सुखाने के बाद उसके भीतर बारूद और कंकड़-पत्थर भरे जाते हैं. बारूद भरे जाने के बाद ये हिंगोट बम का रूप ले लेता है. इसके एक सिरे पर लकड़ी बांधी जाती है. इससे वह रॉकेट की तरह आगे जा सके. एक हिस्से में आग लगाने पर हिंगोट रॉकेट की तरह घूमता हुआ दूसरे दल की ओर बढ़ता है.
परंपरा के नाम पर 'अग्नियुद्ध', आसमान में खूब उड़े हिंगोट, जानिए कैसे होता है तैयार