इंदौर।देश में कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन उससे पहले ही अब कोरोना के बूस्टर डोज लगाने की मांग उठ रही है. डॉक्टर्स का कहना है कि जिन हेल्थ केयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को जनवरी-फरवरी में पहली डोज लगी थी, अगर उन्हें तीसरी लहर आने से पहले कोरोना के बूस्टर डोज नहीं लगाए गए, तो वह संक्रमित हो सकते हैं.
दरअसल जनवरी-फरवरी महीने में टीकाकरण की शुरुआत हुई थी. प्रदेश के 53 हजार 802 हेल्थ वर्कर्स में से अब तक 42 हजार 831 हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन का पहला डोज लग चुका है, जबकि 34 हजार 347 लोगों को ही दूसरा डोज लगा है. इसके अलावा 57 हजार 163 फ्रंटलाइन वर्कर्स में 45 हजार 654 लोगों को पहला डोज, जबकि 31 हजार लोगों को ही दूसरा डोज लग सका है.
आशंका जताई जा रही है कि अक्टूबर-नवंबर में यदि तीसरी लहर आई, तो जिन हेल्थ केयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को जनवरी में टीका लगा था, उनकी इम्यूनिटी तीसरी लहर के वायरस से मुकाबला करने में सक्षम नहीं होगी. डॉक्टर्स का कहना है कि तीसरी लहर के पहले उन्हें वैक्सीन का बूस्टर डोज लगना जरूरी होगा. इसकी वजह भी वैक्सीन के कारण बनी रहने वाली डेडलाइन को माना जा रहा है.
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फ्रंटलाइन वर्करों का कहना है कि जो वैक्सीन उन्हें जनवरी और फरवरी में लगी थी, सितंबर-अक्टूबर तक वह शरीर में कितना असर करेगी यह कहना मुश्किल है. अलग-अलग कंपनियों ने वैक्सीन एबिलिटी बने रहने की अलग-अलग डेडलाइन दी है. ऐसे में आशंका है कि तीसरी लहर के पहले ही पहला डोज लगाने वालों में बनी एंटीबॉडी खत्म हो चुकी होगी.
अगर ऐसा होता है तो तीसरी लहर में हेल्थ केयर वर्कर और फ्रंट लाइन वर्कर कोरोना के नए वेरिएंट का शिकार हो सकते हैं. डॉक्टरों ने सवाल उठाया है कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन की डेड लाइन 6 महीने से लेकर साल भर तक कारगर बने रहने की है. नतीजतन जब तीसरी लहर आएगी तो इनकी डेड लाइन खत्म हो चुकी होगी, इसलिए फ्रंटलाइन वर्कर्स और हेल्थ केयर वर्कर्स को वैक्सीन का बूस्टर डोज लगाना जरूरी है.
डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 84 फीसदी कारगर
ICMR के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में नया खुलासा किया है. जिसके मुताबिक, जिन लोगों को कोविशील्ड के दोनों डोज लग चुके हैं उनमें भी 16 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जिनमें कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ संक्रमण से लड़ने वाली एंटीबॉडी नहीं बन रही है. यही स्थिति पहली खुराक लेने वालों की भी है, जिनमें कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से लड़ने वाली एंटीबॉडी की दर मात्र 48 फीसदी है.
हालांकि इस शोध का अभी रिव्यू किया जा रहा है. दूसरी तरफ डॉक्टरों का कहना है कि वैक्सीन के दोनों डोज कोरोना के डेल्टा वेरिएंट पर भी कारगर हैं, क्योंकि जिन्हें संक्रमण हुआ है उनकी स्थिति फिलहाल गंभीर नहीं है.
प्रदेश में डेल्टा वेरिएंट के कुल 50 मरीज
कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित मरीजों की संख्या 50 तक पहुंच गई है. इसकी पुष्टि खुद सीएम शिवराज ने की थी. इंदौर दौरे में सीएम ने बताया था कि प्रदेश में कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है, बीते कुछ दिनों में ही कोरोना के नए वेरिएंट से संक्रमितों की संख्या 50 पहुंच गई है. ऐसी स्थिति में कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग के साथ ही प्रदेश में प्रतिदिन 70 से 75 हजार टेस्टिंग कराने के निर्देश जारी है. इंदौर में हर रोज करीब 10 हजार टेस्टिंग हो रही है. कंटेनमेंट जोन बनाकर भी संक्रमण को रोकने की कोशिश की जा रही है.