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कोरोना का कहरः शव यात्रा और अंतिम संस्कार को तरस रहे शव

जिले में कोरोना का प्रकोप बढ़ने से अब मरने के बाद भी लोगों की अंतिम क्रिया में दिक्कतें आ रही है. संक्रमित मरीज की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो रहा है. मृतक के परिजन भी मृत शरीर का दाह संस्कार करने से डर रहे है. यदि कोई अंतिम संस्कार कर भी रहा है तो उसके बाद अस्थि विसर्जन के लिए अस्थि श्मशान से नहीं ले जा रहे है. कोरोना के इस दौर ने जीवित लोगों को तो दूर किया ही है, अब मरने के बाद भी कोई अपना या पराया पास नहीं आ रहा है.

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Published : Apr 22, 2021, 1:54 PM IST

Updated : Apr 22, 2021, 2:33 PM IST

Hail of corona
कोरोना का कहर

इंदौर।जिंदगी से विदाई के बाद विधि-विधान पूर्वक अंतिम संस्कार सभी धर्मों में हर व्यक्ति का अधिकार माना गया है, लेकिन कोरोना के कहर के चलते संक्रमित लोगों से यह अधिकार भी छिन सा गया है. फिलहाल प्रदेश के विभिन्न जिलों में इस समय जितनी भी मौत कोरोना के कारण हो रही हैं, उन मृतकों के संक्रमित शवों को अंतिम संस्कार और शव यात्राएं भी नसीब नहीं हो रही है. इंदौर में आलम यह है कि कई लोग डेड बॉडी श्मशान के बाहर ही छोड़कर जा रहे हैं. कई ऐसे हैं जो संक्रमण के खौफ से मुक्तिधाम में अपनों के शवों के पास भी नहीं जाना चाहते.

शव यात्रा और अंतिम संस्कार को तरस रहे शव
  • अंतिम संस्कार की रस्में पूरी कराने वाले पंडित दुखी

कोरोना के संक्रमण के कारण अपनों से दूर होने की सामाजिक मजबूरी के बावजूद इलाज और व्यवस्थाओं के अभाव में अपना जीवन गंवाने वाले मृतकों को अंतिम समय में भी अपनों का साथ नहीं मिल रहा है. दरअसल अस्पताल से लेकर श्मशान घाट तक महामारी का खौफ इस कदर है कि अपनों को गंवाने के बाद खुद की सुरक्षा की मजबूरी के कारण लोग शवों को लावारिस हाल श्मशान के बाहर छोड़कर जा रहे हैं. इंदौर के मुक्ति धामों में स्थिति यह है कि शहर के 25 से 30 संस्थानों में आने वाले संक्रमित लोगों की संख्या 3 से 4 गुना तक बढ़ गई है.

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ऐसी तमाम मौतों के मामलों में ना तो शव यात्राएं निकल पा रही हैं, नाही श्मशान में विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार हो पा रहा है. अस्पतालों से सीधे संक्रमित शव श्मशान में भेजे जा रहे हैं. उनके साथ इक्का-दुक्का परिजन ही मौजूद रहते हैं. कई स्थानों पर स्थिति ऐसी बन रही है कि मृतकों के परिजन श्मशान के कर्मचारियों को ही दाह संस्कार का बोलकर संक्रमण के डर से श्मशान के गेट से अंदर ही नहीं आ रहे हैं. यह स्थिति देखकर अब तक श्मशान में अंतिम संस्कार की रस्में पूरी कराने वाले कर्मकांडी पंडित भी दुखी है.

  • अस्थियों का भी नहीं हो रहा विसर्जन

इंदौर के सभी मुक्तिधामों में बीते 2 सप्ताह से स्थिति ऐसी है कि संक्रमित शवों को जलाए जाने के बाद लोग उनका विधि-विधान से ना तो अस्थि संचय कर रहे हैं, और नाही वर्तमान दौर में नदियों में अस्थि विसर्जन कर पाने की स्थिति में हैं. अधिकांश मामलों में कई परिवार मृतक की अस्थियों को मुक्तिधाम के लॉकर में ही छोड़कर जा रहे हैं. जिन का विसर्जन संभवत शहर में स्थितियां सामान्य होने के बाद ही हो सकेगा.

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  • ब्लॉक नंबर से हो रही शवों की पहचान

वर्तमान दौर में श्मशान में एक अन्य परेशानी यह भी आ रही है कि किस स्थान पर किस का शव जलाया है, यह पहचान दाह संस्कार के बाद होना मुश्किल हो रही है. ऐसी स्थिति में इंदौर के मुक्तिधाम में दाह संस्कार को ब्लॉक नंबरों से तय किया गया हैं. लिहाजा श्मशान में लकड़ियां लेने से लेकर मृत्यु प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया तक अब यही ब्लॉक नंबरों के आधार पर हो रही है. इसके अलावा दाह संस्कार के पूर्व जो रस्म और क्रियाएं कर्मकांडी पंडित और पुरोहित कराते थे वह भी अब नाम मात्र की बची हैं.

  • श्मशान में अस्थियों और राख के ढेर

इंदौर के लगभग सभी मुक्तिधामों में इन दिनों कई गुना संक्रमित शव को जलाने और अस्थि संचय नहीं होने के कारण श्मशान में अतिथियों और राख के ढेर लगे हैं. फिलहाल श्मशान में सीमित स्थान होने के कारण परिजनों द्वारा चुनी जाने वाली हस्तियों को छोड़कर राख के ढेर को नगर निगम के वाहनों से अन्य स्थानों पर भेजा जा रहा है. ऐसी स्थिति में सभी मृतकों की राख और अस्थियां मिश्रित होकर श्मशान में पड़ी है.

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  • श्मशान में संक्रमण से बचने की चुनौती

अंतिम संस्कार के दौरान शवों को जलाए जाने की तमाम व्यवस्थाओं को संभालने वाले कर्मचारी और शमशान के सफाईकर्मी शवों के साथ आने वाले परिजनों के संपर्क में आने के कारण खुद भी संक्रमित हो रहे हैं. इसके अलावा अस्पताल से लाई जाने वाली बॉडी के कवर और उपयोग की गई पीपीई किट लोग मुक्तिधाम में ही छोड़कर जा रहे हैं, जो सफाईकर्मियों को संक्रमित कर रही है. लिहाजा लोगों के अंतिम संस्कार के समय जो लोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, उन्हें भी संक्रमण से बच पाना मुश्किल हो चुका है.

Last Updated : Apr 22, 2021, 2:33 PM IST

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