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नई शिक्षा नीति का DAVV की कुलपति ने किया स्वागत, कहा- छात्रों के लिए होगी सहूलियत - New education policy after 34 years

नई शिक्षा नीति को मंजूरी देने के साथ-साथ अब देशभर में एचआरडी मंत्रालय शिक्षा विभाग के नाम से जाना जाएगा. नवीनतम शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं. नई शिक्षा नीति का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति रेणु जैन ने स्वागत किया और इसे छात्रों के हित में बताया. पढ़िए पूरी खबर...

New Education Policy
न्यू एजुकेशन पॉलिसी

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Published : Jul 30, 2020, 10:13 PM IST

इंदौर। केंद्र सरकार द्वारा सालों से लंबित नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी गई है. नई शिक्षा नीति को मंजूरी देने के साथ-साथ अब देशभर में एचआरडी मंत्रालय शिक्षा विभाग के नाम से जाना जाएगा. नई शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति रेणु जैन ने इसे छात्रों के लिए फायदेमंद बताया है.

नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं. यह नीति आने वाले 40 सालों को ध्यान में रखकर बनाई गई है. मुख्य तौर पर शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा में क्षेत्रीय भाषा पर जोर दिया गया है. वहीं उच्च शिक्षा के दौरान छात्रों को होने वाली समस्या को ध्यान में रखते हुए उन्हें मौका देने की बात कही गई है.

नई शिक्षा नीति का DAVV की कुलपति ने किया स्वागत

शोधार्थी के लिए पीएचडी विकल्प

उच्च शिक्षा के दौरान छात्रों को सुविधा देने के लिए सर्टिफिकेट डिप्लोमा और डिग्री के नियम लागू किए गए हैं. कई बार छात्र अपनी समस्याओं को लेकर बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सर्टिफिकेट के लिए एक साल डिप्लोमा के लिए 2 वर्ष और डिग्री के लिए 4 वर्ष की स्थिति निर्धारित की गई है. साथ ही शोध प्रक्रिया के दौरान अपनाए जाने वाले पीएचडी और एमफिल में एमफिल को समाप्त कर दिया गया है. शोधार्थी अब केवल पीएचडी ही कर सकेंगे.

नई नीति छात्रों के लिए सहूलियत

केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई नवीनतम शिक्षा नीति को लेकर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति रेणु जैन का कहना है कि यह शिक्षा नीति आने वाले दिनों में छात्रों के लिए काफी मददगार होगी. इस शिक्षा नीति से शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को काफी सहूलियत होगी.

क्लास पांचवी तक मातृभाषा में पढ़ाई

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार अब पांचवी तक की शिक्षा मातृ भाषा में होगी. स्कूलों में अब कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम की कोई अनिवार्यता नहीं होगी, छात्र जो भी पाठ्यक्रम चाहें, ले सकते हैं.

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनइपी) को अब देश भर के विश्वविद्यालयों में प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिए एडिशनल चार्ज दिया जाएगा. जिसमें वह हायर एजुकेशन के लिए कॉमन एंट्रेंस एक्जाम का आयोजन कर सकता है. नई प्रणाली में और अमेरिका में प्रवेश के लिए आयोजित सैट में कुछ समानताएं हैं. भारत इस तरह की शिक्षा नीति का हकदार है, क्योंकि इसमें शिक्षा प्रणाली के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है. इसमें एक्सेस, सामर्थ्य, इक्विटी, गुणवत्ता और जवाबदेही शामिल हैं.

34 साल बाद नई शिक्षा नीति

पिछले करीब 34 सालों से शिक्षा नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया था. वहीं 34 साल बाद बनाई गई इस शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर कॉलेज स्तर तक की शिक्षा में छात्रहित को देखते हुए कई अहम बदलाव किए गए हैं.

एक धड़ा इस नई नीति के खिलाफ

इस नई शिक्षा नीति को लेकर कुछ शिक्षकों और छात्रों ने अपना विरोध दर्ज करवाया है. गुरुवार को दिल्ली समेत देश के अलग अलग हिस्सों के शिक्षकों और छात्रों ने इस नीति का कड़ा विरोध किया. विरोध कर रहे शिक्षक और छात्रों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और नई शिक्षा नीति को वापस लेने की मांग की.

शुरू की जाएगी डिजिटल शिक्षा

नई शिक्षा नीति को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संबंधित अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिए हैं. डिजिटल शिक्षा की व्यवस्था के संबंध में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि, प्रदेश में प्री प्राइमरी के स्टूडेंट्स के लिए भी डिजिटल शिक्षा शुरू की जाएगी, जो उन्हें प्रत्येक सप्ताह 3 दिन दी जाएगी और प्रतिदिन 30 मिनट का समय निर्धारित होगा.

व्यवसायिक शिक्षा पर जोर

मध्यप्रदेश में छठवीं कक्षा से ही व्यवसायिक शिक्षा दिए जाने का प्रावधान जल्द से जल्द लागू किया जाएगा. इसके लिए सीएम शिवराज ने निर्देश जारी कर दिए हैं. साथ ही स्कूली पाठ्यक्रम में संगीत, दर्शन, कला, नृत्य का भी समावेश किया जाएगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि, प्रदेश में नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को तत्परता के साथ लागू करने के लिए शिक्षा मंत्री एक टीम गठित करें, जो इस संबंध में कार्रवाई के लिए रूप रेखा बनाएं. प्रदेश में विदेश रूप से व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाना है. प्रदेश में विशेष रुप से व्यवसायिक शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाना है, जिससे बच्चे शुरू से ही अपने क्षेत्र में दक्षता हासिल करें और उन्हें भावी जीवन में एक अच्छी आजीविका प्राप्त हो सके.

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