इंदौर।कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने जन-जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है. इसका सीधा असर आम जनता और उनके काम धंधे पर पड़ा है. इंदौर के कैब ड्राइवर्स की बात करें तो एक बार फिर उनके सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है. अब वो उम्मीद के साथ सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं ताकी घर चल सके और काम धंधा भी प्रभावित ना हो.
- कैब चालकों पर कोरोना का कहर
शहर में कैब और ट्रैवल ऑपरेटर बड़ी संख्या में मौजूद हैं. साल 2020 में कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी थी और उनका पूरा कारोबार चौपट हो गया था, वैसे ही हालात एक बार फिर बन रहे हैं. शहर में महामारी की दूसरी लहर है और एक बार फिर काम धंधा चौपट होने के कगार पर है. इंदौर के कैब ड्रायवर और ट्रैवल ऑपरेटर की बात करें तो आज उनके सामने विभिन्न तरह की आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है. सामान्य हालात में उनकी एक दिन की कमाई 3-4 हजार रुपए थी, जो अब मात्र पांच सौ से हजार रुपये तक पहुंच गई है.
- आर्थिक स्थिति को दुरूस्त करना चुनौती
इस महामारी के दौर में कैब चालकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक स्थिति को ठीक बनाए रखना है. अधिकांश कैब ड्रायवर किराए से लेकर कैब चलाते हैं. उनको अपनी कमाई का आधा हिस्सा कैब मालिक को किराए के रुप में देना होता है. कुछ ही कैब चालक ऐसे हैं जिनकी खुद की कैब है और वो भी किसी बैंक से कर्ज लेकर खरीदे गए हैं. जिसकी किस्त बैंक को चुकानी होती है. चिंता कि बात यह है कि इंदौर शहर में कोरोना की गंभीर स्थिति ने कैब चालकों के आर्थिक स्थिति पर बुरा असर डाला है. कोरोना संक्रमण की वजह से कैब चालकों का व्यापार ठप हो गया है. उनके आगे आर्थिक परेशानियां खड़ी हो गई हैं.
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- सवारियों की है किल्लत
कैब चालकों का कहना है कि संक्रमण की वजह से लोगों का शहर में आना जान लगभग बंद हो गया है. सवारियां ना मिलने और तमाम बंदिशों की वजह से कैब का व्यापार खत्म हो गया है. कैब चालकों का यह भी कहना है कि उन्होंने जैसे-तैसे करके बैंक से फाइनेंस करवा कर गाड़ियां व्यापार करने के लिए उठाईं. लेकिन कोरोना ने एक बार फिर उनके सामने आर्थिक चुनौती खड़ी कर दी है. बैंक लगातार गाड़ियों की किस्त जमा करने के लिए अल्टीमेटम दे रहे हैं, ऐसे में यदि एक भी किश्त छूट जाती है तो उन पर पेनाल्टी वसूली जाती है. गौर करने वाली बात यह भी है कि यदि काफी लंबी किस्त हो जाती है तो गाड़ी सीज भी कर ली जाती है. आज इन सभी परेशानियों के चलते कई कैब चालकों ने तो गाड़ियों को बेचकर दूसरा व्यापार करना भी शुरू कर दिया है.
- सरकार पर भेदभाव का आरोप