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प्रदूषण की चपेट में अजनार नदी: घातक रसायन से खतरे में 50 गांव, प्रशासन ने फेरी निगाहें - News Today

अजनार नदी के किनारे बसे आदिवासी अंचल के गांव का जल और जमीन जहरीले रसायन के कारण दूषित हो चुके हैं. दरअसल, इसके लिए जिम्मेदार हैं औद्योगिक गतिविधियों के प्रमुख केंद्र पीथमपुर के उद्योगों से निकलने वाले रसायनिक अवशिष्ट. फिलहाल, इसका समाधान न होने पर सामाजिक कार्यकर्ता ने जन आंदोलन की चेतावनी दी है.

ajnar river polluted
प्रदूषण की चपेट में अजनार नदी

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Published : Jun 26, 2021, 7:30 AM IST

Updated : Jun 26, 2021, 9:52 AM IST

इंदौर। प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों के प्रमुख केंद्र पीथमपुर के उद्योगों से निकले रसायनिक अवशिष्ट से मानपुर अंचल के करीब 50 गांव इन दिनों रासायनिक त्रासदी से जूझ रहे हैं. स्थिति यह है कि यहां अजनार नदी के किनारे बसे करीब 50 आदिवासी अंचल के गांव का जल और जमीन जहरीले रसायन के कारण दूषित हो चुके हैं. लिहाजा अब न तो यहां का पानी पीने योग्य बचा है, और न ही यहां की मिट्टी में कोई उपज ही हो रही है.

इस दूषित पानी के कारण यहां कई पशुओं की भी मौत हो चुकी है, लिहाजा अंचल के ग्रामीणों ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के साथ इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय पहुंचकर शासन को जन आंदोलन की चेतावनी दी है.

प्रदूषण की चपेट में अजनार नदी


प्रदूषित हुआ नदी का पानी

दरअसल, मानपुर के पास ढाबा संचालित करने वाले एक व्यवसाई ने पीथमपुर के कुछ रसायनिक उद्योगों को उनका अवशिष्ट निपटान के लिए अपने खेतों में जगह उपलब्ध कराई थी. स्थानीय ग्रामीणों के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर का आरोप है कि रासायनिक केमिकल बारिश के पानी के साथ जमीन में पहुंच चुके हैं. इसके अलावा खेतों से वह कर जो पानी अजनार नदी में जा रहा है. उससे नदी का पानी भी दूषित होकर काला पड़ चुका है.

दूषित पानी पीने वाले मवेशियों की भी मौत
बता दें कि यहां के ग्रामीणों ने जो सब्जियां अपने खेतों में उगाई थीं. वह भी एसिड के पानी के कारण काली पड़ चुकी हैं. पाटकर का आरोप है कि संबंधित ढाबा संचालक की मनमानी के कारण भूजल भी दूषित हो चुका है. वहीं इस दूषित पानी को पीने वाले मवेशियों की भी मौत हो रही है. उन्होंने दावा किया कि बारिश तेज होने के बाद अजनार नदी का यह पानी नर्मदा नदी में भी पहुंचेगा. जिसके कारण जन सामान्य के जीवन पर भी खतरा मंडरा सकता है.

खतरे में इकोसिस्टम
पाटकर ने बताया कि टॉक्सिक केमिकल खेतों में डालने और जहरीले रसायनों को डंप करने के कारण अंचल का इकोसिस्टम ही खतरे में पड़ गया है. इसके बावजूद ना तो ग्रामीणों की समस्या पर प्रशासन का कोई ध्यान है, न ही जनप्रतिनिधि इस और ध्यान दे रहे हैं. उन्होंने मांग करते हुए कहा की इस समस्या को लेकर संभाग आयुक्त को ज्ञापन सौंपा गया है. इसके अलावा स्थानीय स्तर पर दूषित पानी और मिट्टी की स्थिति से रूबरू कराने के लिए उन्हें सैंपल भी दिए गए हैं.


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दोषियों पर कार्रवाई की मांग
उन्होंने कहा जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती है, तो वह अपने स्तर पर मामले को कोर्ट में उठाएंगे. दरअसल, इस पूरे मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी जांच की है, लेकिन अब तक इसकी रिपोर्ट नहीं आई है. वहीं, अब प्रशासन को यह भी पता लगाना चाहिए कि पीथमपुर के कौन से उद्योग हैं, जो नदी के प्रदूषण के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं.

Last Updated : Jun 26, 2021, 9:52 AM IST

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