होशंगाबाद।देश भर में आज से पितृ पक्ष शुरू हो गया है, जोकि 17 सितंबर पितृ मोक्ष अमावस्या तक चलेगा. 19 साल बाद ऐसा संयोग बना है कि दो आश्विन ज्यादा मास होने से श्राद्ध के एक महीने बाद शारदीय नवरात्र शुरू होंगे, जबकि हर साल श्राद्ध पक्ष खत्म होने के अगले दिन से ही नवरात्र शुरू हो जाते थे, लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो पाएगा. ऐसे में आज सुबह से ही लोग पिंड दान के लिए नर्मदा के घाटों पर पहुंच रहे हैं.
पितृ पक्ष के तहत पिंडदान की शुरुआत हो चुकी है, 15 दिन तक चलने वाले पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास की पूर्णिमा से होती है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदियों का विधि-विधान से पूजन करते हैं. जिन लोगों की मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई हो, उनका श्राद्ध इस दिन करना चाहिए. इस बार पितृ पक्ष एक सितंबर से शुरू हुआ है, जो 17 सितंबर तक चलेगा. इस दौरान पितरों का तर्पण किया जाता है.
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पंडित संदीप शास्त्री ने बताया कि पूर्णिमा से शुरू होकर पितृ अमावस्या तक पूर्वजों को जल देने का महत्व होता है. इन 15 दिनों में पूर्वज धरती पर आकर मोक्ष प्राप्ति के उद्देश्य से अपने परिजनों के पास पहुंचते हैं. पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने से पूर्वजों को पृथ्वी लोक पर बार-बार जन्म लेने के चक्र से मुक्ति मिलती है. उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस पर्व में श्वान और कौए का विशेष महत्व रहता है, जिन्हें भोजन कराया जाता है. मान्यता है कि श्वान और कौआ भोजन कर लेते हैं तो पितरों को भोजन प्राप्त हो जाता है.
धार्मिक-पवित्र नदियों में होता है तर्पण
पवित्र नदियों में पिंडदानी सुबह से ही श्राद्ध और तर्पण के लिए पहुंचते हैं, जोकि लगातार 15 दिनों तक प्रतिदिन शुभ तर्पण का कार्य करते हैं. साथ ही घर जाकर विधि-विधान से अग्नि में भोजन कराते हैं. ये प्रक्रिया तिथि विशेष होती है, जिसमें मोक्ष की तिथि के अनुसार क्रिया-कर्म किया जाता है.
16 की बजाय 17 दिन है इस बार पितृ पक्ष
पितृ पक्ष इस बार 16 की बजाय 17 दिन के रहेंगे, जिसका कारण पूर्णिमा तिथि का एक सितंबर को अनंत चतुर्दशी की दोपहर से प्रारंभ होना है. जो लोग अपने पूर्वजों के निमित्त पूर्णिमा से पितृ मोक्ष अमावस्या तक नियमित रूप से तर्पण और श्राद्ध कर्मकांड करेंगे, उनके लिए पितृ पक्ष 17 दिन के रहेंगे. वहीं जो लोग अगले दिन से तर्पण शुरू करेंगे, उनके लिए ये पक्ष 16 दिन का ही रहेगा.