होशंगाबाद।कहा जाता है भारतीय अर्थव्यवस्था और मानसून सट्टे की तरह होते हैं, जो पल-पल में बदलते हैं. वहीं साल भर की भारतीय अर्थव्यवस्था को तय करने वाली खरीफ फसल पूरी तरह से मानसून पर टिकी है. ऐसे में इस साल कम बारिश होने की वजह से खरीफ फसल में अब नुकसान के आसार बढ़ रहे हैं. नर्मदांचल में बहुतायात में बोई जाने वाली धान और सोयाबीन की फसल मानसूनी बारिश नहीं मिलने के चलते सूखने की कगार पर पहुंचने लगी है. जिससे एक बार फिर होशंगाबाद में किसानों के माथे पर चिंता की लकीर पड़ गई हैं.
बारिश नहीं होने से फसलों को भारी नुकसान एक सप्ताह में श्रावण माह जाने को है, श्रावण माह जो कि अच्छी बारिश का महीना माना जाता है. लेकिन इस साल श्रावण माह में भी अच्छी बारिश नहीं हो रही है. बादल किसानों से रूठे हुए नजर आ रहे हैं. अब तक अच्छी बारिश नहीं होने की वजह से धान के खेतों में दरारें आ गई हैं. वहीं पत्तियां भी पीली हो गई हैं. इस बात से किसान मायूस और परेशान हैं कि अगर समय पर बारिश नहीं हुई, तो उन्हें एक बार फिर गहरा झटका लग सकता है.
खेतों में नहीं बचा पानी
घुटने तक पानी में डूबे रहने वाली धान की फसल से भरे खेतों में होशंगाबाद में बुधवार से पानी ही नहीं बचा है. साथ ही रोपाई का काम भी पिछड़ गया है, जिसका कारण जिले में औसत से कम बारिश और खंड वर्षा है. वहीं खेतीलायक बारिश नहीं होने की वजह से किसानों की परेशानी बढ़ गई है.
किसानों की बढ़ी चिंता
बीते एक सप्ताह से तेज बारिश नहीं होने से किसान चिंतित हैं. उनके खेतों में दरार पड़ने लगी है. फसल सूखने लगी है. वहीं किसानों का कहना है कि अगर एक-दो दिन में तेज बारिश नहीं हुई तो धान की फसल बर्बादी की कगार पर आ जाएगी. ऐसे में किसानों के सामने दोबारा बोअनी करने की नौबत आ सकती है. हालांकि कुछ इलाकों में क्षेत्रों में रुक-रुक कर बारिश होती रहीं, जिस वजह से रोपाई का काम चल रहा है.
इस समय खेतों में पानी की जरूरत है. वहीं फसलों में खाद के रूप में यूरिया का छिड़काव होना है. ऐसे में किसान यूरिया का छिड़काव भी नहीं कर पा रहे हैं. धान की फसल लगाने वाले कपिल चौधरी का कहना है कि बारिश नहीं होने से धान पर प्रभाव देखने को मिल रहा है. वहीं किसान अमरदीप चौकसे ने बताया कि इस तरह धान का रोपा भी समय पर नहीं लगा पा रहे है. अगर समय पर रोपा नहीं लगा पाए तो ट्रैक्टर से रोटर चलाकर फसल खत्म करनी होगी. वहीं बीमा का भी फायदा किसानों को नहीं मिल पाता है, जिसके चलते आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.
निजी संस्थानों से कर रहे सिंचाई
फसल बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे किसान निजी संसाधनों से खेतों में पानी पहुंचा रहे हैं. इसके लिए किसान निजी ट्यूबवेल सहित कुआं से सिंचाई कर रहे हैं जिसके लिए घंटो-घंटो किसान रात में परेशान होता दिखाई दे रहा है. किसानों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रात को ही सिंचाई के लिए 8 घंटे इलेक्ट्रिसिटी स्पलाई की जा रही है, जिससे वे रात में ट्यूबवेल चला कर धान के खेतों और सोयाबीन की फसल में पानी दे रहे हैं. वहीं पर्याप्त पानी नहीं होने के चलते धान की रोपाई भी सही तरीके से समय पर नहीं हो पा रही है.
10 दिन तक नहीं तेज बारिश का अनुमान
मौसम विभाग के मुताबिक फिलहाल 10 दिन तक बारिश के कोई आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं. बंगाल की खाड़ी सहित अरब सागर में बना सिस्टम फिलहाल हिमालय की तराई में जमकर बरस रहा है. ऐसे में मध्य प्रदेश के आस पास कोई भी मानसूनी सिस्टम बनता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है. जिसके चलते तेज झमाझम बारिश होने की उम्मीद नहीं है. मौसम विभाग के मुताबिक कुछ इलाकों में खंड बारिश हो सकती है जो कि फसलों के लिए आंशिक मदद की तौर पर सामने आ सकती हैं.
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बता दें, 01 जून से 25 जुलाई तक 2019 में 467.4 मिलीमीटर बारीश दर्ज की गई थी वहीं इस साल केवल 300.5 मिलीमीटर बारीश रिकॉर्ड की है जो पिछली बार से 167 मिलीमीटर कम है वहीं इस बार लगातार मूंग की फसल तवा डैम से नहरों के माध्यम से बड़ी मात्रा मे पानी छोड़ा गया था जो अब खाली हो चला है जिसके चलते अब खरीफ के लिये सप्लाई के लिये पानी उपलब्ध नहीं है, जिससे क्षेत्र मे सप्लाई किया जा सके.