होशंगाबाद। सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच एक ऐसा रहस्मयी रास्ता है, जो सीधे नागलोक में प्रवेश दिलाता है, जहां पहुंचने के लिये खतरनाक पहाड़ों की चढ़ाई और बारिश में भीगे जंगलों से होकर जाना पड़ता है, तब कहीं नाग देवता की नगरी 'नागद्वार' पहुंचा जा सकता है.
सतपुड़ा के जंगलों में नाग मंदिर प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी के जंगलों में स्थित नाग मंदिर में साल में सिर्फ एक बार हरि की नागद्वार यात्रा दर्शन का मौका मिलता है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र होने के चलते यहां प्रवेश वर्जित है. रिजर्व फॅारेस्ट प्रबंधन यहां आने-जाने का गेट बंद कर देता है. हर साल नाग पंचमी पर यहां पर एक मेला लगता है, जिसमें भाग लेने के लिए लोग जोखिम उठाकर18 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं.नाग पंचमी के दिन आसपास लगने वाले मेले के लिए 10 दिन पहले से ही कई राज्यों के श्रद्धालु खासतौर पर महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के भक्तों का आना शुरू हो जाता है. नागद्वार के अंदर चिंतामणि की गुफा है, जोकि 100 मीटर लंबी है. इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं, जहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 12 किलोमीटर पैदल पहाड़ी की यात्रा करना पड़ता है. ये यात्रा सैकड़ों साल से जारी है, जहां नाग पंचमी के दिन श्रद्धालु सुबह से यात्रा शुरू करते हैं ताकि देर शाम तक पहुंच जाएं.इस साल ज्यादा बारिश नहीं होने के चलते ये यात्रा मात्र 5 दिन की कर दी गई है. एक अगस्त से नाग पंचमी तक चलने वाली इस यात्रा में करीब चार लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं. यहां श्रद्धालु पूरी तरह प्रकृति पर ही निर्भर हैं. यहां पीने के लिए पहाड़ से गिरने वाले पानी का उपयोग किया जाता है.