ग्वालियर। कलेक्ट्रेट में अधिकारियों की सांठगांठ के चलते फर्जी जाति प्रमाणपत्र के मामले के झूठे केस में तीन महीने की सजा काट चुका पीड़ित न्याय के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहा है, बावजूद इसके अभी तक न्याय नहीं मिला है. हैरानी की बात ये है कि इस मामले में ग्वालियर बेंच ने भी तीन दिन में जांच पूरी करने का आदेश दिया था. पीड़ित का आरोप है कि ग्वालियर बेंच के आदेश के मुताबिक उसे एक महीने में जांच की कॉपी मिली है, लेकिन वो भी अधूरी.
फर्जी प्रमाण पत्र में फंसा पीड़ित न्याय के लिए भटक रहा बताया जा रहा है कि एसडीएम कार्यालय लश्कर द्वारा कुछ महीने पहले बिना जांच किए फर्जी रूप से एक महिला बेबी आर्य का अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी किया गया था. इस महिला की पड़ोस में रहने वाले गार्डन राय से कहासुनी हो गई थी, तो महिला ने थाने में जाकर एट्रोसिटी एक्ट में रिपोर्ट लिखवा दी और गार्डन राय को तीन महीने की जेल हो गई.
जब पीड़ित तीन महीने की सजा काटकर जेल से बाहर आया, तो उसने मामले की छानबीन की. पीड़ित का आरोप है कि महिला बेबी आर्य ने एसडीएम ऑफिस में सांठगांठ कर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया है. आरटीआई के तहत निकाले दस्तावेज में इसका खुलासा हुआ है. पीड़ित का कहना है कि इसकी शिकायत जब कलेक्टर अनुराग चौधरी को की गई, तो उन्होंने जांच समिति बनाई और तीन दिन में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा. जबकि पीड़ित गार्डन राय एक महीने तक लगातार अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाता रहा, लेकिन रिपोर्ट नहीं आई, क्योंकि मामला जिला प्रशासन के अधिकारी से जुड़ा था.
एसडीएम लश्कर सीबी प्रसाद से जब इस विषय में पूछा गया, तो उन्होंने जांच समिति का बहाना देकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की. हालांकि ये उन्होंने भी माना कि जिले में कुछ जाति प्रमाणपत्र फर्जी रूप से बनाए गए हैं, लेकिन इस मामले में एक महीने से ज्यादा बीतने के बाद भी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है.