ग्वालियर। चंबल संभाग में एक बार फिर सवर्ण आंदोलन की आवाज उठने लगी है. सवर्णों की माने तो जल्द ही प्रदेश सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने वाले हैं. जिसकी मुख्य वजह विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वचन पत्र के माध्यम से किये गये वादों पूरा न करना है. सवर्ण नेताओं ने प्रदेश की कमलनाथ सरकार को चेतावनी दी है, अगर जल्द ही उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं तो उग्र आंदोलन किया जायेगा.
सवर्ण नेताओं ने प्रदेश सरकार को दी चेतावनी बता दें 2 अप्रैल 2018 को एससी-एसटी एक्ट को लेकर ग्वालियर-चंबल अंचल में आंदोलन शुरु हुआ था. जो आग की तरह पूरे देश में फैल गया था. इस आंदोलन की वजह से बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था.
ये हैं मांगें-
- सवर्ण आयोग का गठन कर, संवैधानिक दर्जा दिया जाये.
- आर्थिक आधार पर लागू किया गया 10 प्रतिशत आरक्षण, शिक्षा और नौकरी के साथ सभी स्तरों पर लागू हो.
- 2 अप्रैल 2018 को हुई हिंसा के दौरान सवर्णों पर लगे मुकदमे वापिस लिये जायें.
सवर्ण नेता सुनील पटेरिया ने कहा कि सवर्णों के आंदोलन की वजह से ही प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी. इसके अलावा सवर्ण नेता ने सीएम कमलनाथ पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है.
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने बयान दिया है कि सवर्णों से जो वादे किए हैं, सरकार लगातार उस दिशा में काम कर रही है. किसी भी जाति समुदाय धर्म के लोगों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा. वचन पत्र में जो भी वादे किये गए थे सरकार उन्हें पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.