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इस 400 साल पुराने मंदिर के पट खुलते हैं साल में सिर्फ एक बार, लगता है भक्तों का तांता - lord kartik temple opened for devotees

ग्वालियर में भगवान कार्तिकेय का ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां के कपाट कार्तिक पूर्णिमा पर ही खुलते हैं. यह मंदिर 400 साल पुराना है, जहां भगवान के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं. सोमवार को भी कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है.

lord kartik temple
भगवान कार्तिकेय मंदिर के खुले पट

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Published : Nov 30, 2020, 6:27 PM IST

ग्वालियर।देवों के सेनापति माने जाने वाले भगवान कार्तिकेय का ग्वालियर में एक ऐसा अनूठा मंदिर है, जहां के कपाट सिर्फ कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर ही खुलते हैं. साल में सिर्फ एक बार खुलने वाले कार्तिकेय मंदिर पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन लाखों की संख्या में भक्त जुटते हैं. सोमवार यानि आज कार्तिक पूर्णिमा है. ऐसे में सुबह 4 बजे से भगवान कार्तिकेय मंदिर के पट भक्तों के दर्शन के लिए खोले दिए गए हैं. मंदिर में सुबह से ही भक्तों का आना-जाना शुरू हो गया है.

भगवान कार्तिकेय मंदिर के खुले पट

400 साल पुराना है मंदिर

जीवाजी गंज स्थित कार्तिकेय मंदिर देश का इकलौता मंदिर है, जहां भगवान कार्तिकेय के साथ गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी मूर्ति स्थापित है. ये मंदिर करीब 400 साल से भी ज्यादा पुराना है. इस मंदिर में भगवान कार्तिकेय के सिर्फ कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही किए जाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन अलसुबह से ही विशेष पूजन के साथ दर्शन का सिलसिला शुरू हो जाता है.

पुजारी जमुना प्रसाद के मुताबिक 400 साल पुरानी कार्तिकेय मंदिर की इस प्रथा की अपनी अलग ही पहचान है. भगवान कार्तिकेय का मंदिर देश का इकलौता मंदिर है जिसमें गंगा, जमुना और सरस्वती की प्रतिमाएं स्थापित हैं. आधी रात के बाद साल में एक बार खुलने वाले भगवान कार्तिकेय मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे.

दर्शन करने उमड़े श्रद्धालु

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बिना मास्क नहीं दिया जा रहा है प्रवेश

कार्तिकेय पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं. सुबह 4 बजे से भगवान कार्तिकेय के दर्शन शुरू हो गए हैं. ऐसा माना जाता है कि आज के दिन देव कार्तिकेय के दर्शन करने से घरों में खुशहाली और सुख-शांति साल भर बनी रहती है.

बिना मास्क नहीं दिया जा रहा है प्रवेश

मंदिर के पट खुलने के बाद पुजारी मंदिर की साफ-सफाई के बाद कार्तिक भगवान का श्रृंगार और अभिषेक किया गया. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते मंदिर पर श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम किया है. वैसे तो कोरोना संक्रमण के कारण इस बार काफी कम संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है, लेकिन इसके साथ ही जो भी श्रद्धालु भगवान कार्तिकेय दर्शन करने आ रहा है उसे बिना मास्क के मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है.

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कार्तिक पूर्णिमा को भगवान कार्तिकेय के दर्शन करने देश-प्रदेश के कई हिस्सों में आने वाले भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं. आस्था में डूबे इन भक्तों का विश्वास है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान कार्तिकेय के दर्शन करने से उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है.

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