ग्वालियर। नगर निगम हर साल शहर को स्वच्छ दर्शाने में करोड़ रुपए पानी की तरह बहा रहा है, लेकिन हालात यह है कि न तो शहर स्वच्छ हो पाया है और न ही शहर से निकलने वाले कचरे को नष्ट करने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम किए गए. शहर में रोज 400 टन से अधिक कचरा निकलता है. उसके बाद इस कचरे को शहर से बाहर डंपिंग यार्ड तक पहुंचाया जाता है. इसके बाद उस कचरे को रिसाइकल कर खाद में तब्दील किया जाता है, लेकिन इसकी जब पड़ताल की गई, तो कई खुलासे हुए. केदारपुर लैंडफिल साइट पर रिसाइकल प्लांट बंद होने के कारण कचरे के बड़े-बड़े पहाड़ दिखाई दे रहे है.
कचरों के दिखाई देने लगे बड़े-बड़े पहाड़
कचरे में आग लगा खुद की नाकामी 'खाक' कर रहा नगर निगम! - कचरा प्रबंधन
ग्वालियर में नगर निगम कचरे को नष्ट करने में नाकामयाब साबित हो रहा है. शहर से बाहर केदारपुर लैंडफिल साइट पर रिसाइकिल प्लांट बंद होने के कारण कचरों के बड़े-बड़े पहाड़ दिखाई दे रहे है.
अब शहर का कचरा शिवपुरी लिंक रोड स्थित केदारपुर के पास लैंडफिल साइट पर डाला जा रहा है, लेकिन रिसाइिकल की प्रोसेसिंग यूनिट बंद होने से वहां कचरे का पहाड़ बनता जा रहा है. इको ग्रीन कंपनी के काम बंद करने के बाद अब नगर निगम के लिए कचरा उठाने के साथ ही निस्तारण का काम भी बड़ी परेशानी बन चुका है.
सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग करने की नहीं है कोई भी व्यवस्था
शहर में डोर टू डोर कचरे का कलेक्शन किया जाता है, जिसमें सूखा और गीला कचरा शामिल होता है. इको ग्रीन कंपनी के समय शहर के सूखे और गीली कचरे को अलग- अलग किया जाता था. उसके बाद लैंडफिल साइट पर कचरे को रिसाइकल खाद बनाने का काम किया जाता था. इको ग्रीन कंपनी से अनुबंध हटने के बाद अब हालात यह हैं कि सूखे और गीले कचरे को एक साथ उठाकर कचरे के ढेर में भेजा जा रहा है. निगम के पास अभी फिलहाल सूखे और गीले कचरे को अलग करने का कोई इंतजाम नहीं है.