मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

MP Political News: ग्वालियर चंबल अंचल में शाह की नसीहत बेअसर, बीजेपी के उम्मीदवारों के खिलाफ लगातार बढ़ रहा है विरोध - ticket to Lal Singh Arya ticket from Gohad

मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी हाल में ही देश के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा अपने नेताओं को दी गई नसीहत का असर नजर नही आ रहा है. 39 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद अन्य दावेदारों में असंतोष के स्वर उभरने लगे हैं.

mp assembly election 2023
ग्वालियर चंबल अंचल में शाह की नसीहत बेअसर

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 24, 2023, 11:04 AM IST

Updated : Aug 24, 2023, 12:21 PM IST

आमने-सामने आए भाजपा और कांग्रेस नेता

ग्वालियर। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करके भले ही चुनावी अभियान में बढ़त लेने का दावा किया हो, लेकिन टिकट वितरण के बाद पार्टी में उपजे असंतोष ने अब पार्टी की चिंताएं भी बढ़ा दीं हैं. बीजेपी के एक प्रदेश महामंत्री के बेटे ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर अपना दर्द बयां किया, हालांकि बाद में पोस्ट हटा ली. वहीं, गुना जिले की चाचौड़ा सीट से विधायक रह चुकी और इस बार भी प्रबल दावेदार महिला नेत्री बगावत के मूड में हैं. पार्टी इस असंतोष को साधने में लगी है. चुनाव प्रबंध समिति के अध्यक्ष और केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र तोमर लगातार लोगों से बात कर उन्हें समझा रहे हैं.

चाचौड़ा से ममता मीणा का कटा टिकट:एमपी में नवंबर में विधानसभा चुनाव होना है लेकिन बीजेपी ने प्रदेश में हारी हुई 39 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर हलचल मचा दी है. इसे कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा था, लेकिन अब इस सूची में शामिल नेताओं के खिलाफ अन्य दावेदारों में असंतोष के स्वर भी उभरने लगे हैं. 39 लोगों की सूची में ग्वालियर चम्बल संभाग की भी चार सीट के प्रत्याशी घोषित किये गए हैं. इनमें गोहद से बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य, मुरैना जिले की सुमावली सीट से कांग्रेस की सरकार गिराकर आये एदल सिंह कंसाना और सबलगढ़ सीट से 2018 में चुनाव हार चुकीं सरला रावत पर फिर से दांव लगाया गया है. अशोकनगर जिले की चंदेरी सीट से भी पार्टी ने अपने पुराने प्रत्याशी रघुवंशी को ही मैदान में उतारा. लेकिन गुना जिले की हॉट सीट चाचौड़ा से अपनी दिग्गज नेता ममता मीणा का टिकट काटकर एक आईआरएस की पत्नी प्रियंका मीणा को टिकट दे दिया है.

पूर्व विधायक रणवीर रावत को किया किनारे:सबसे पहले विरोध का स्वर उठा बीजेपी के पुराने नेता और पूर्व विधायक रणवीर रावत के परिवार से. मूलतः शिवपुरी जिले के करेरा के रहने वाले रणवीर वही से एमएलए भी रह चुके हैं. वे पार्टी के पुराने नेता है, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नजदीकी है और अभी पार्टी के प्रमुख पद प्रदेश महामंत्री के पद पर कार्यरत हैं. उनका निर्वाचन क्षेत्र करेरा परिसीमन में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया था. बताया जाता है जब 2018 में सबलगढ़ सीट से सरला रावत चुनाव हार गईं तो पार्टी ने रावत जाति की बहुल वाली इस सीट पर रणवीर से तैयारी करने को कहा था.

पोस्ट से मचा भूचाल: पांच साल से रणवीर वहां सक्रिय रहकर अपनी गोटियां बिठा रहे थे. लेकिन पार्टी ने एक बार फिर सरला रावत को ही उम्मीदवार घोषित कर उनको तगड़ा झटका दे दिया. उन्होंने इसको लेकर अपनी अप्रसन्नता नेताओं तक पहुंचाई लेकिन तभी उनके बेटे आदित्य ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर हड़कम्प मचा दिया. पोस्ट में आदित्य ने लिखा-''पहले 2018 फिर राज्यसभा चुनाव और अब फिर नजरअंदाज.'' इस पोस्ट ने बीजेपी में ऊपर से नीचे तक भूचाल ला दिया. पार्टी ने नरेंद्र तोमर से रणवीर से बात करने और पोस्ट हटवाने को कहा. उनके कहने पर आदित्य ने पोस्ट डिलीट भी कर दी.

रणवीर जाटव से मंत्री तोमर की बंद कमरे में मुलाकात:इस घटनाक्रम के बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रणवीर जाटव को ग्वालियर बुलाया और अपने बंगले पर आधा घण्टे तक बन्द कमरे में बातचीत की. माना जा रहा है कि उन्हें समझाने की कोशिश की गई थी. वे बाहर निकले तो उनके चेहरे पर गुस्सा और विषाद साफ दिख रहा था. लेकिन उन्होंने कहा कि ''कहीं कोई नाराजगी नहीं है. बेटे ने भी पोस्ट हटा दी है. हम सब कमल के फूल के लिए काम करते हैं और सब पार्टी और सरला रावत को जिताने के लिए काम करेंगे.''

गोहद से लाल सिंह आर्य को टिकट

गोहद से लाल सिंह आर्य को टिकट:अंचल में जो टिकट बीजेपी ने घोषित किये हैं उनमें भिंड जिले की गोहद सीट भी है, जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट से 2018 में कांग्रेस के रणवीर जाटव जीते थे लेकिन जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस में विद्रोह हुआ तो उनके साथ कांग्रेज छोड़ने वालों में जाटव भी थे. उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दिया और बीजेपी के टिकट पर उप चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. हालांकि तब सरकार ने तत्काल उन्हें हस्त शिल्प विकास निगम का चेयरमैन बनाकर केबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया, लेकिन हाल ही में घोषित सूची में उनका नाम नहीं था. उनका टिकट काटकर बीजेपी ने 2018 में हारे और वर्तमान में बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य को उम्मीदवार बना दिया. इस बदलाव को सिंधिया के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. गोहद में रणवीर जाटव के समर्थकों द्वारा इसके खिलाफ आवाजें उठ रही हैं. मौ कस्बे में तो कुशवाह समाज ने बाकायदा एक शपथ ग्रहण समारोह आयोजित कर लाल सिंह को वोट न देने की शपथ ली.

Also Read:

ममता मीणा बोलीं-ऐसा नहीं चलेगा:उधर प्रदेश की हॉट सीट गुना जिले की चाचौड़ा सीट पर तो दावेदार खुलकर बगावत पर उतर आई. अभी इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह एमएलए हैं. यहां से सबसे बड़ी दावेदार ममता मीणा थीं, वे यहां से विधायक रह चुकीं हैं. लेकिन 2018 में चुनाव हार गई थीं. इसके बाद उन्होंने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और जीतीं. लेकिन बीजेपी ने यहां से एक आईआरएस की पत्नी को टिकट दे दिया. बीजेपी ने जिन प्रियंका रावत को टिकट दिया वे जिला पंचायत का चुनाव हार चुकी है और दो माह पहले ही बीजेपी में शामिल हुईं हैं.अब उन्हें बीजेपी का टिकट देने से ममता बहुत गुस्से में हैं. उन्होंने कहा कि ''कार्यकर्ताओं की रायशुमारी नहीं हुई, मंडल अध्यक्षों से भी नहीं पूछा गया, जो खुद और उनका देवर जिला पंचायत का चुनाव हार चुके अब ऊपर से उनका टिकट हो गया. ऐसा नहीं चलेगा, आगे जो कार्यकर्ता कहेंगे वह करूंगी.''

भाजपा का हर कार्यकर्ता पार्टी के लिए करता है काम: वहीं, इसको लेकर प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर का कहना है कि ''यह विरोध नहीं है बल्कि सकारात्मक दृष्टि से देखें तो दुनिया का सबसे बड़ा दल भारतीय जनता पार्टी है और सब की आकांक्षाएं रहती है कि अगर हमें पार्टी से टिकट मिलेगा तो वह निश्चित ही जीतकर आएंगे. इसलिए वह अपनी भावनाओं को प्रकट करते हैं और पार्टी के नेता के रूप में यह होना भी चाहिए. अंतिम समय में भारतीय जनता पार्टी का हर कार्यकर्ता पार्टी के लिए काम करता है और जो चुनाव लड़ता है.''

कांग्रेस ने लगाए गुटबाजी के आरोप:कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष आर पी सिंह का कहना है कि ''ग्वालियर चंबल अंचल में गुटवाजी इतनी हावी है कि खुद अमित शाह को यहां पर आना पड़ा, लेकिन लगता है कि अमित शाह का आने का असर पार्टी में बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रहा है. अभी हाल में ही ग्वालियर चंबल अंचल के कुछ उम्मीदवार घोषित किए हैं उतने में ही उनका विरोध सड़कों पर आ चुका है. इसलिए लगता है कि बीजेपी कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन जिस तरीके से यहां गुटबाजी हावी है उसको उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.''

Last Updated : Aug 24, 2023, 12:21 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details