ग्वालियर। कहते है 'नारी कभी न हारी' पूरे देश में आज विभिन्न विषयों में महिलाओं का कही न कही योगदान जरूर है. इसका उदाहरण ग्वालियर की मेघा गुप्ता पेश कर रही है. मेघा 2013 से मूक बधिर बच्चों के लिए स्कुल चला रही है. वह केवल किताबी ज्ञान नहीं बल्कि साइन लेंग्वेज से बच्चों को हर भाषा में सशक्त बना रही है. मेघा गुप्ता के घर पर शहर और गांव के अलग-अलग स्थानों से तकरीबन 70 बच्चे पढ़ने आते है.
मेघा ने इन मूक बधिरों के शिक्षा के लिए जो संस्था बनाई है उसमे सभी मूक बधिर सदस्य है. मेघा बताती है कि वैसे तो समाज का भरपूर सहयोग मिल रहा है. साथ ही सरकार से थोड़ी मदद और मिले तो और बेहतर परिणाम सामने आ सकते है.
दूसरों के लिए बनी प्रेरणा
मेघा के माता-पिता भी मूक बधिर है वह उनकी समस्याओं को रोज देखती रहती है. वह किसी बात नहीं कर पाते थे. इसलिए अपने माता-पिता से बातचीत करने के लिए मेघा ने बड़ी मुश्किल से साइन लेंग्वेज सीखी. तभी से यह निश्चय किया की किसी मूक बधिर को यूं अकेला नहीं रहने देगी. जितने भी एसे बच्चे मिलेंगे उन्हें वह साइन लेंग्वेज के माध्यम से शिक्षा देगी.
चीजों को बेहतर ढंग से समझाने के लिए वे बच्चों को वीडियो के माध्यम से पढ़ाती है. मेघा का कहना है कि अक्सर बच्चे के मूकबधिर होने पर माता पिता उसकी पढाई पर ध्यान नहीं देते है. खास बात यह है कि मेघा के बनाये गए वीडियो से इन दिनों पाकिस्तान की बच्चे भी पढ़ना सीख रहे है. इस वीडियो से पाकिस्तान के ओकरा कैंट स्थित स्पेशल ट्रेनिंग स्कूल के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.