ग्वालियर। ग्वालियर चंबल अंचल की 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के चलते पुलिस अलर्ट पर है. एमपी में सबसे ज्यादा लाइसेंसी हथियार चंबल अंचल में ही पाए जाते हैं. खास बात ये है कि लाइसेंसी के अलावा यहां अवैध हथियारों की संख्या बेहद ज्यादा है, जो उपचुनाव में पुलिस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होते. लिहाजा उपचुनाव के मद्देनजर पुलिस हथियार तस्करों की धरपकड़ में जुटी है, क्योंकि चुनाव आते ही अंचल में हथियार तस्कर गिरोह सक्रिय हो जाते हैं, जिससे चुनाव के दौरान भय का माहौल बनाया जा सके. यही वजह है कि अंचल में चुनाव के वक्त बथ कैप्चरिंग जैसी घटनाएं सामने आती रही हैं.
इस बात को खुद पुलिस अधिकारी स्वीकारते हैं कि बिना खून-खराब के अंचल में चुनाव हो जाते तो ये बड़ी बात होती है. चुनाव में हिंसा की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस ने लाइसेंसी हथियारों को जमा कराया है. साथ ही अवैध हथियारों को जब्त करने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत अब पुलिस लगातार चैकिंग कर रही है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पुलिस ने सैकड़ों की संख्या में अवैध हथियार पकड़े थे.
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ग्वालियर चंबल की 28 सीटों पर उपचुनाव होना है. लितहाजा चंबल अंचल की पुलिस पूरी तरह से अलर्ट हो चुकी है. यही वजह है कि ग्वालियर चंबल अंचल की पुलिस ने चुनाव से एक महीने पहले ही अपने मुखबिर तंत्रो को मजबूत कर लिया है और उनके जरिए अंचल में खपाए जा रहे अवैध हथियारों की तस्करी और तस्करों की धरपकड़ के लिए लगातार कार्रवाई करने में जुटी हुई है.पुलिस ने ग्वालियर चंबल अंचल से जोड़ने वाली दूसरी राज्यों की सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी है. साथ ही उत्तर प्रदेश की सीमा पर पुलिस पूरी तरह से निगरानी में लगी हुई है.
पिछले दो सालों में पकड़े गए कई तस्कर
- ग्वालियर जिले में 30 दिन में 10 से 15 हथियार तस्कर पकड़े गए हैं, जिनके पास 30 पिस्टल, 15 से 20 कट्टे, 140 कारतूस और 50 बुलेट 9एमएम जब्त किए गए हैं.
- साल 2019 में पकड़े गए अवैध हथियारों की बात करें तो 219 अवैध हथियार, 412 कारतूस और 200 से अधिक बदमाश गिरफ्तार किए गए थे.
- मुरैना और भिंड जिला अवैध हथियारों की तस्करी के लिए प्रसिद्ध है. यहां पर हर साल 200 से अधिक हथियार तस्कर पकड़े जाते हैं.