भागवत के खिलाफ बगावत पर उतरे ब्राह्मण ग्वालियर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन राव भागवत द्वारा संत रविदास जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में दिए गए भाषण को लेकर ग्वालियर का ब्राह्मण समाज आक्रोशित है. RSS प्रमुख मोहन भागवत ने मुंबई में आयोजित कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में कहा था कि प्राचीन समय में ब्राह्मणों ने हिंदू समाज में जातियों का निर्धारण किया जो कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता.
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सड़क पर उतरकर आंदोलन की चेतावनीःइसे लेकर ग्वालियर के ब्राह्मण समाज ने सोमवार को उनके खिलाफ नारेबाजी की और कहा कि दो दिन के भीतर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को अपने कथन को लेकर ब्राह्मण समाज से माफी मांगनी चाहिए. ऐसा नहीं किए जाने पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ सड़कों पर उतर कर आंदोलन छेड़ा जाएगा. मोहन भागवत का बयान मीडिया में सुर्खियां बनने के बाद ग्वालियर में ब्राह्मण समाज ने सोमवार को एक आपातकालीन बैठक की और इस बैठक में ब्राह्मण समाज ने भागवत के बयान को लेकर क्षोभ जताया.
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मोहन भागवत ने शायद भागवत गीता नहीं पढ़ीःउन्होंने कहा कि अपने आपको हिंदू और सनातन धर्म का पुरोधा कहने वाले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शायद श्रीमद् भागवत कथा नहीं पढ़ी है. जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते समय कहा है कि उन्होंने ही जाति व्यवस्था बनाई है और सब लोगों को जातियों के अनुरूप काम करने के दिशा-निर्देश दिए हैं. ऐसे में ब्राह्मण समाज को जाति व्यवस्था के लिए दोषी ठहराना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. ब्राह्मण समाज ने इसके लिए मोहन भागवत से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की चेतावनी दी है. साथ ही कहा है कि यदि मोहन भागवत ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ समूचे देश में ब्राह्मण समाज आंदोलित होगा. ब्राह्मण समाज का यह भी कहना है कि उन्हें राजनीति से कोई मतलब नहीं है. लेकिन अपने चुनावी फायदे के लिए आरएसएस प्रमुख ने दलितों के वोट हासिल करने के लिए इस तरह का बयान दिया है जो कतई उचित नहीं है. उन्हें अपने बयान पर माफी मांगनी ही होगी.